गोरखपुर मामला: जाँच समिति ने कई लोगों को जिम्मेदार ठहराया

Gorakhpur probe report says children died due to oxygen crisis, blames principal and doctors
[email protected] । Aug 17 2017 11:02AM

30 बच्‍चों की मौत की शुरूआती जांच में मेडिकल कॉलेज के तत्‍कालीन प्रधानाचार्य समेत कई वरिष्‍ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अलावा ऑक्‍सीजन आपूर्तिकर्ता कम्‍पनी को एक जांच समिति ने प्रथम दृष्टया जिम्मेदार ठहराया गया है।

लखनऊ/गोरखपुर। गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 10 और 11 अगस्‍त को कथित रूप से ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने के कारण हुई 30 बच्‍चों की मौत की शुरूआती जांच में मेडिकल कॉलेज के तत्‍कालीन प्रधानाचार्य समेत कई वरिष्‍ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अलावा ऑक्‍सीजन आपूर्तिकर्ता कम्‍पनी को एक जांच समिति ने प्रथम दृष्टया जिम्मेदार ठहराया है। जिलाधिकारी राजीव रौतेला द्वारा गठित पांच सदस्‍यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऑक्‍सीजन आपूर्तिकर्ता कम्‍पनी मेसर्स पुष्‍पा सेल्‍स प्राइवेट लिमिटेड ने ऑक्‍सीजन की आपूर्ति बाधित कर दी, जिसके लिये वह जिम्‍मेदार है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिये था क्‍योंकि इसका प्रत्यक्ष सम्‍बन्‍ध मरीजों के जीवन से था।

जांच समिति ने पाया है कि मेडिकल कॉलेज के एक्‍यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम वार्ड के नोडल अधिकारी डॉक्‍टर कफील खान ने एनेस्‍थीसिया विभाग के प्रमुख डॉक्‍टर सतीश कुमार को वार्ड का एयर कंडीशनर खराब होने की लिखित सूचना दी थी, लेकिन उसे समय पर ठीक नहीं किया गया। डॉक्‍टर सतीश गत 11 अगस्‍त को बिना किसी लिखित अनुमति के मेडिकल कॉलेज से गैरहाजिर थे। डॉक्‍टर सतीश वार्ड में ऑक्‍सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिये जिम्‍मेदार थे, लिहाजा वह अपने कर्तव्‍य के प्रति लापरवाही के लिये प्रथम दृष्‍ट्या दोषी हैं।

मालूम हो कि 10-11 अगस्‍त को मेडिकल कॉलेज में बच्‍चों की मौत होने के बाद डॉक्‍टर कफील को हटा दिया गया था। जांच समिति ने एक और लापरवाही का जिक्र करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डॉक्‍टर सतीश और मेडिकल कॉलेज के चीफ फार्मासिस्‍ट गजानन जायसवाल पर ऑक्‍सीजन सिलेंडरों की स्‍टॉक बुक और लॉग बुक को अपडेट करने की जिम्‍मेदारी थी, लेकिन उन्‍होंने ऐसा नहीं किया। साथ ही लॉगबुक में कई जगह ओवरराइटिंग भी की गयी है। लॉगबुक के प्रभारी डॉक्‍टर सतीश ने उस पर दस्‍तखत भी नहीं किये, इससे जाहिर होता है कि इस मुद्दे को ना तो डॉक्‍टर सतीश ने और ना ही मेडिकल कॉलेज के तत्‍कालीन प्रधानाचार्य डॉक्‍टर राजीव मिश्रा ने गम्‍भीरता से लिया।

जांच समिति ने पाया है कि डॉक्‍टर राजीव मिश्र पिछली 10 अगस्‍त को, जब बच्‍चों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ, गोरखपुर से बाहर थे। इसके अलावा डॉक्‍टर सतीश भी 11 अगस्‍त को बिना अनुमति लिये मुम्‍बई रवाना हो गये। अगर इन दोनों अधिकारियों ने बाहर जाने से पहले ही समस्‍याओं को सुलझा लिया होता तो बड़ी संख्‍या में बच्‍चों की मौत नहीं होती। दोनों ही अधिकारियों को आपूर्तिकर्ता कम्‍पनी द्वारा ऑक्‍सीजन की आपूर्ति बाधित किये जाने की जानकारी अवश्‍य रही होगी। जांच समिति ने यह भी पाया है कि मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्‍टर राजीव मिश्रा ने बाल रोग विभाग के अत्‍यन्‍त संवेदनशील होने के बावजूद उसके रखरखाव और वहां की जरूरत की चीजों के एवज में भुगतान पर ध्‍यान नहीं दिया।

समिति ने पाया है कि ऑक्‍सीजन आपूर्तिकर्ता कम्‍पनी ने अपने बकाया भुगतान के लिये बार-बार निवेदन किया, लेकिन पांच अगस्‍त को बजट उपलब्‍ध होने के बावजूद मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य के समक्ष पत्रावली (बिल) प्रस्‍तुत नहीं की गयी। इसके लिये लेखा विभाग के दो कर्मियों समेत तीन लोग प्रथम दृष्‍ट्या दोषी पाये गये हैं। पांच सदस्‍यीय जांच समिति ने यह भी पाया है कि स्‍टॉक बुक में ओवरराइटिंग और ऑक्‍सीजन आपूर्तिकर्ता कम्‍पनी के बिलों का श्रृंखलाबद्ध या तिथिवार भुगतान नहीं होना, प्रथम दृष्‍ट्या वित्‍तीय अनियमितताओं की तरफ इशारा करता है। ऐसे में चिकित्‍सा शिक्षा विभाग द्वारा इसका ऑडिट और उच्‍च स्‍तरीय जांच कराना उचित होगा।

गौरतलब है कि 10-11 अगस्‍त को बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 30 बच्‍चों की मौत का मामला सामने आने पर जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने मामले की जांच के लिये एक समिति गठित की थी। हालांकि सरकार भी इस मामले की उच्‍चस्‍तरीय जांच करा रही है।

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