चोरी के कागजात संबंधी सरकार का तर्क संविधान के खिलाफ: चिदंबरम

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[email protected] । Mar 7 2019 2:12PM

उन्होंने कहा, ''पेंटागन पेपर्स के मामले में 1971 में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का विख्यात फैसला अटॉर्नी जनरल के दिये गये तर्कों का पूरा जवाब है कि मीडिया तथाकथित गोपनीय दस्तावेजों को प्रकाशित नहीं कर सकता।''

नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने राफेल विमान सौदे से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी होने के मामले में बृहस्पतिवार को कहा कि 'चोरी के कागजात' प्रकाशित नहीं करने से जुड़ा सरकार का तर्क संविधान के अनुच्छेद 19 के खिलाफ है। चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, 'हम राफेल सौदे से संबंधित दस्तावेजों के प्रकाशन का पूरा समर्थन करते हैं। यह तर्क कि ये 'चोरी के कागजात' हैं, संविधान के अनुच्छेद 19 के खिलाफ है।

उन्होंने कहा, 'पेंटागन पेपर्स के मामले में 1971 में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का विख्यात फैसला अटॉर्नी जनरल के दिये गये तर्कों का पूरा जवाब है कि मीडिया तथाकथित गोपनीय दस्तावेजों को प्रकाशित नहीं कर सकता।' पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ' जब अनिल अंबानी को राफ़ेल डील का भारत के विदेश सचिव और पूरी सरकार से पहले पता था तो मामले में सीक्रेट क्या है, मोदी जी? पहला मामला तो अंबानी और खुद आप पर बनता है, साहेब ?" दरअसल, सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हुये हैं और उसने ‘द हिन्दू’ समाचार पत्र को इन दस्तावेजों के आधार पर लेख प्रकाशित करने के कारण सरकारी गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई की धमकी दी।

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प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल सौदे से संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक करने वाले सरकारी गोपनीयता कानून के तहत और न्यायालय की अवमानना के दोषी हैं। लड़ाकू विमानों के सौदे के बारे में एक नया लेख समाचार पत्र में प्रकाशित होने के दिन अटार्नी जनरल ने कहा कि इस चोरी की जांच की जा रही है।

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