डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार गंभीर: नड्डा
देश में डॉक्टरों की खासा कमी होने की बात स्वीकार करते हुए केंद्र ने आज कहा कि इस समस्या के निदान के मकसद से मेडिकल कालेज स्थापित करने के लिए प्रावधानों को आसान बनाया गया है।
देश में डॉक्टरों की खासा कमी होने की बात स्वीकार करते हुए केंद्र ने आज कहा कि इस समस्या के निदान के मकसद से मेडिकल कालेज स्थापित करने के लिए प्रावधानों को आसान बनाया गया है और सीटों की संख्या में वृद्धि करने पर जोर दिया जा रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकारी क्षेत्र में मेडिकल कालेजों की संख्या बढ़ायी जा रही है।
देश में डॉक्टरों की कमी पर कुछ सदस्यों द्वारा गंभीर चिंता जताने पर उन्होंने कहा कि इस समस्या का रातोंरात हल नहीं किया जा सकता और इसके लिए हमें नीतियों में बदलाव भी करना होगा। नड्डा ने कहा कि मेडिकल कालेज खोलने के लिए प्रावधानों में ढील जा रही है और इसके लिए जरूरी जगह में भी कमी की गयी है। उन्होंने कहा कि पोस्ट ग्रेजुएट सीटों की संख्या में भी वृद्धि के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हर जिले में मेडिकल कालेज हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी मेडिकल कालेज में सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टर और तकनीकी स्टाफ मुहैया कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर रोक लगाने के लिए उनके मंत्रालय द्वारा कोई केंद्रीय कानून नहीं संचालित किया गया है। हालांकि केंद्र सरकार सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर रोक लगाने के लिए उचित कार्रवाई की खातिर राज्य सरकारों को सलाह जारी कर रही है।
उन्होंने कहा कि संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कानून में ऐसा कोई अध्यनन मौजूद नहीं है जो यह दर्शाता है कि क्षय (टीबी) रोग के फैलने का मुख्य कारण थूकना रहा है। उन्होंने कहा कि खांसने और छींकने को संक्रमण का मुख्य कारण माना जाता है। हालांकि क्षय रोग से संक्रमित व्यक्ति द्वारा थूकने से भी टीबी का संक्रमण फैल सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले 15 वर्षों से प्रतिवर्ष प्रति एक लाख आबादी पर टीबी के मामलों और उसकी व्यापकता में गिरावट आयी है।
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