भाजपा विधायक की सदस्यता खत्म करने के निर्णय की समीक्षा करें राज्यपाल: भाजपा

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[email protected] । Nov 6 2019 10:31AM

भाजपा के वरिष्ठ विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद बताया कि भाजपा प्रतिनिधिमंडल आज दोपहर राज्यपाल लालजी टंडन से मिला और उनको अवगत कराया है कि पवई सीट के भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता खत्म करने का विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय कानून के अनुरूप नहीं है।

भोपाल। भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन से मांग की है कि मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति द्वारा भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता खत्म करने के निर्णय की वह समीक्षा करें।

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मालूम हो कि रेत खनन के खिलाफ वर्ष 2014 में कार्रवाई करने वाले तहसीलदार को बीच रोड पर रोककर उसके साथ मारपीट और गाली-गलौज करने के मामले में स्थानीय अदालत ने लोधी को दो साल कैद की सजा सुनायी। इसके दो दिन बाद प्रजापति ने शनिवार को लोधी की सदस्यता समाप्त कर दी। लोधी प्रदेश के पन्ना जिले की पवई विधानसभा सीट से भाजपा विधायक थे। मध्य प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने चुनाव आयोग को भी पवई सीट रिक्त होने की सूचना दे दी है।

भाजपा के वरिष्ठ विधायक एवं मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा ने राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘भाजपा प्रतिनिधिमंडल आज दोपहर राज्यपाल लालजी टंडन से मिला और उनको अवगत कराया है कि पवई सीट के भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता खत्म करने का विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय कानून के अनुरूप नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि हमने राज्यपाल से यह भी कहा है कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार ऐसे मामलों में किसी भी विधायक की सदस्यता रद्द करने का निर्णय केवल राज्यपाल ही ले सकते हैं।

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शर्मा ने बताया, ‘‘विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय संविधान एवं जनप्रतिनिधि कानून के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा का प्रतिनिधिमंडल आज शाम राज्यपाल को इस संबंध में एक ज्ञापन भी देगा। शर्मा ने उम्मीद जताई है कि विधायक लोधी को उच्च न्यायालय से इस मामले में राहत मिलेगी। वहीं, मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने कहा, ‘‘लोधी की सदस्यता रद्द करने का विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय उच्चतम न्यायालय के 2013 के फैसले पर आधारित है। इसलिए यह निर्णय कानून के अनुसार ही लिया गया है। भाजपा को इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने से पहले प्रावधानों एवं उच्चतम न्यायालय के फैसले को पढ़ना चाहिए।’’

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