जीएसटी विधेयक पर राज्यसभा में साढ़े पांच घंटे चर्चा होगी

[email protected] । Jul 30 2016 1:42PM

सरकार अगले सप्ताह राज्यसभा में जीएसटी विधेयक, बेनामी संपत्ति लेनदेन विधेयक में संशोधन तथा शत्रु संपत्ति विधेयक में संशोधन के लिए कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पेश कर सकती है।

सरकार अगले सप्ताह राज्यसभा में जीएसटी विधेयक, बेनामी संपत्ति लेनदेन विधेयक में संशोधन तथा शत्रु संपत्ति विधेयक में संशोधन के लिए कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पेश कर सकती है। राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून पर चर्चा के लिए साढ़े पांच घंटे का समय तय किया गया है। जीएसटी पर संवैधानिक संशोधन विधेयक को लोकसभा में पारित किया जा चुका है। यह विधेयक एक बार फिर अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया गया है। सूत्रों का कहना है कि अगर राज्यसभा में संशोधनों के साथ यह विधेयक पारित हो जाता है तो इसे एक बार फिर लोकसभा में लिया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा में अगले सप्ताह बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन विधेयक 2015 और शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं वैधता) विधेयक 2016 को लिया जाएगा। सरकार ने उच्च सदन के लिए नागरिकता (संशोधन) विधेयक, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, दंत चिकित्सक (संशोधन) विधेयक तथा कुछ अन्य विधेयक भी सूचीबद्ध किए हैं। लोकसभा में सरकार ने पेश करने के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार विधेयक, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक और कर्मचारी क्षतिपूर्ति (संशोधन) विधेयक को सूचीबद्ध किया है।

शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं वैधता) विधेयक के जरिये शत्रु संपत्ति कानून 1968 में बदलाव किया जाना है। पिछले माह सरकार ने शत्रु संपत्ति पर उत्तराधिकार या उसके हस्तांतरण संबंधी दावे के खिलाफ निगरानी संबंधी कानून में संशोधन के लिए तीसरी बार एक अध्यादेश जारी किया। शत्रु संपत्ति वह होती है जो युद्धों के पश्चात पाकिस्तान या चीन प्रवास कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गई है। लोकसभा में यह विधेयक 9 मार्च को पारित हो गया। लेकिन राज्यसभा में इसे अनुमति नहीं मिल सकी और इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया। प्रवर समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट पेश की। अगर संसद की मंजूरी से पारित विधेयक ने अध्यादेश की जगह नहीं ली तो संसद सत्र शुरू होने के 42 दिन के बाद अध्यादेश की अवधि समाप्त हो जाती है। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार विधेयक को अगले सप्ताह लोकसभा में पेश किया जाएगा। यह एक निजी विधेयक है जिसे राज्यसभा में द्रमुक के तिरुचि शिवा ने पेश किया था। पूरे 45 साल में पहली बार उच्च सदन में एक निजी विधेयक ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का अधिकार विधेयक’ पारित किया गया है।

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