गिफ्ट सिटी को वर्ल्ड क्लास फिनटेक हब बनाने के लिए दशकों पुराने शराबबंदी कानून में ढील देने की तैयारी में गुजरात सरकार
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिनटेक फर्मों को ऑफिस सेटअप करने के लिए लुभाने की मंशा के साथ इस तरह के कदम उठाने की योजना पर विचार चल रहा है जब कि केंद्र सरकार द्वारा गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-को विश्व स्तरीय वित्तीय प्रौद्योगिकी हब बनाने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया गया है।
गुजरात दशकों से ड्राइ स्टेट है। यानी यहां देश के दूसरे राज्यों की तरह शराब बेचने और खरीदने की खुली छूट नहीं है। लेकिन अब गुजरात सरकार अपनी महत्वकांक्षी परियोजना गिफ्ट सिटी के लिए दशकों पुराने शराबबंदी कानून में ढील देने की तैयारी में है। जिसके तहत गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी गांधीनगर में शराबबंदी नियमों में ढील देने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिनटेक फर्मों को ऑफिस सेटअप करने के लिए लुभाने की मंशा के साथ इस तरह के कदम उठाने की योजना पर विचार चल रहा है जब कि केंद्र सरकार द्वारा गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-को विश्व स्तरीय वित्तीय प्रौद्योगिकी हब बनाने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया गया है।
27 सितंबर 2020 को गिफ्ट प्रबंधन ने शराबबंदी और उत्पाद शुल्क अधीक्षक को पत्र लिखकर गिफ्ट सिटी के विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) क्षेत्र में शराब कानूनों में ढील देने की मांग की थी। इवनिंग पब्लिक सोशल लाइफ को सक्षम बनाने के लिए ये अनुरोध किया गया है। गुजरात निषेध अधिनियम, 1949 की धारा 139 (1) (सी), 146 (बी), और 147 के तहत रियायतें मांगी गई हैं। 20 सितंबर 2021 को मुख्य सचिव ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, शहरी विकास को जिसमें गिफ्ट सिटी और इसके परिधीय क्षेत्रों के विकास के लिए रोडमैप तैयार करने से संबंधित एक विस्तृत पत्र लिखा है। मुख्य सचिव के पत्र में सड़क के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, नदी के किनारे को गांधीनगर तक बढ़ाने और शराब कानूनों में ढील देने के अलावा एक फिनटेक संस्थान स्थापित करने की बात की गई है। वर्तमान अधिसूचना केवल निवासियों को शराब परमिट की अनुमति देती है।
गुजरात सरकार राज्य को निवेशकों का पसंदीदा ठिकाना बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही। राज्य के कई कारोबारियों को लगता है कि शराब पर मौजूदा व्यवस्था गुजरात में निवेश की राह में एक बडी बाधा बनी हुई है। गिफ्ट भारत का पहला मल्टीसर्विस सेज है जिसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) का दर्जा मिला है। दरअसल इस तरह की किसी परियोजना से शराब को बाहर रखना बहुत मुश्किल काम है क्योंकि अक्सर कारोबारी चर्चाओं और सौदों में शराब की अहम भूमिका होती है। गिफ्ट को एक मानद विदेशी भूभाग यानी डीम्ड फॉरेन टेरटरी की तरह माना जाएगा इसलिए गुजरात सरकार के लिए शराबबंदी से जुड़े नियमों में ज्यादा ढील देना आसान भी हो जाएगा।
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