गुजरात में है भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का नेतृत्व करने की क्षमता
गुजरात अब एक कदम आगे निकलते हुए हाल ही में भारत सरकार के वित्त सचिव डॉ. हसमुख अढ़िया द्वारा जारी रिपोर्ट के सुझावों पर काम करने जा रहा है जिसमें उन्होंने गुजरात की मौजूदा और भविष्य की क्षमताओं को संभावनाओं को परखा है। डॉ. हसमुख अढ़िया की यह रिपोर्ट गुजरात सरकार के अनुरोध पर तैयार की गई है।
एशियाई क्षेत्र में चीन के बाद भारत ही एक ऐसा देश है जिसमें पूरे विश्व की मांग को पूरा करने की क्षमता है। भारत की इसी ताकत का सही उपयोग करने के लिए साल जनवरी 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को पाँच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी तक ले जाने के का विचार व्यक्त किया था। आज, एक ओर जहाँ कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व के समक्ष अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी चुनौती दे दी है तो दूसरी तरफ इसने भारत जैसे देशों के लिए नए अवसरों को भी सृजित किया है। इसलिए यदि हमें तय समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को पाँच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाना है तो यह बात निश्चित है कि हमें मौजूदा हालात में उभर रहे अवसरों का संपूर्ण लाभ लेना होगा। ठीक वैसे ही जैसे सन् 1940 और 1950 के दशक में अमेरिका ने औद्योगिक नीति से अपने देश में चमत्कारिक बदलाव किया था और फिर, चीन ने 1980 और 1990 के दशक में अपनी नीति में बदलाव कर आज विश्व का मैन्युफैक्चरिंग हब बन बैठा है।
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हालांकि इस बड़े लक्ष्य की प्राप्त के लिए भारत के सभी राज्यों को देश की अर्थव्यवस्था में बढ़-चढ़कर योगदान देकर एक साथ कदम-ताल मिलाने की ज़रूरत है। जहाँ अभी कुछ राज्य पूरी गंभीरता के साथ इस दिशा में सार्थक प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं तो वहीं कुछ राज्य अभी भी इस लक्ष्य को लेकर थोड़े भटके दिखाई पड़ते हैं। सार्थक प्रयासों वाले राज्यों की सूची में गुजरात राज्य का नाम सबसे ऊपर है। बीते दो साल में इस राज्य ने श्रृंखला वार कई ऐसे कदम उठाए हैं जो यह दिखाते हैं कि गुजरात सरकार नरेन्द्र मोदी के इस संकल्प को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
गुजरात में नई औद्योगिक नीति 2020 को लागू करने से लेकर गुजरात में आने वाली विदेशी कंपनियों को विशेष छूट के प्रावधान और नियमों का सरलीकरण तक कई ऐसे कदम हैं जिसने कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने का काम किया है। कोरोना महामारी के बावजूद गुजरात ने जिस तरह से लगातार तीन सालों में देश में सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया है यह दिखाता है कि गुजरात की नीतियाँ उसके उद्देश्यों में पूरा करने में पूरी तरह से सहायक सिद्ध हुई हैं।
गुजरात अब एक कदम आगे निकलते हुए हाल ही में भारत सरकार के वित्त सचिव डॉ. हसमुख अढ़िया द्वारा जारी रिपोर्ट के सुझावों पर काम करने जा रहा है जिसमें उन्होंने गुजरात की मौजूदा और भविष्य की क्षमताओं को संभावनाओं को परखा है। डॉ. हसमुख अढ़िया की यह रिपोर्ट गुजरात सरकार के अनुरोध पर तैयार की गई है जो कि भारत की अर्थव्यवस्था को पाँच ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने में गुजरात के योगदान पर आधारित है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यह विस्तार पूर्वक बताया है कि कैसे गुजरात भारत की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
डॉ. हसमुख अढ़िया के अनुसार वर्तमान में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गुजरात की हिस्सेदारी 8.36 फीसदी है, वहीं गुजरात को इसे आगे 10 फीसदी तक ले जाना होगा। इसका अर्थ यह है कि अगले पाँच वर्ष में गुजरात की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 14.5 फीसदी होना ज़रूरी है जो कि पिछले दशक में लगभग 12.3 प्रतिशत के आसपास थी। डॉ. हसमुख अढ़िया ने अपनी रिपोर्ट में विनिर्माण क्षेत्र को एक प्रमुख पहलू माना है। इसलिए उन्होंने सुझाव दिया है कि पारंपरिक विनिर्माण क्षेत्र में विकास के साथ-साथ गुजरात को अब ग्रीन एवं स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी के उपयोग को बढ़ावा देने और सप्लाई चेन के लिए ज़रूरी व सटीक पद्धति और कार्य रीति पर विशेष बल देने की ज़रूरत है।
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साथ ही, अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्रों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी (फिनटेक), पर्यटन क्षेत्र जिसमें चिकित्सा पर्यटन भी शामिल है, उन्हें पूंजी निवेश मिले और इन क्षेत्रों का विकास हो, इस पर भी राज्य सरकार को ज्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। पर्यटन क्षेत्र गुजरात का एक प्रमुख विकासशील क्षेत्र है। इस रिपोर्ट में गुजरात को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के विकास की तर्ज पर कुल 5 से 6 पर्यटन क्लस्टर को विकसित करने की बात कही गई है।
स्टार्टअप्स में देश की अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा बदलने की क्षमता होती है। आने वाले समय में हमें यदि भारत को स्टार्अप्स का सरताज़ बनाना है तो यह ज़रूरी है कि भारतीय नीति में रीसर्च और डेवलपमेंट को प्राथमिकता दी जाए। हालाँकि भारत के कुछ राज्यों ने स्टार्टअप्स को फलने-फूलने का अवसर तो दिया है लेकिन इसके महत्वपूर्ण अंग रीसर्च एंड डेवलपमेंट को कोई विशेष महत्व नहीं दिया। वहीं, गुजरात ने इसके उलट अपनी नई औद्योगिक नीति 2020 में रीसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए कई प्रावधानों की घोषणा की है जिसका सीधा लाभ राज्य के स्टार्टअप्स को होने वाला है। शायद यही कारण है कि आज गुजरात में देश में सबसे अधिक फंडेड स्टार्टअप मौजूद है जो आने वाले समय में न केवल गुजरात की अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।
डॉ. अढ़िया की रिपोर्ट में गुजरात में मौजूद स्टार्टअप्स को और व्यापक स्तर पर मंच देने की बात कही गई है। कोस्टल डेवलपमेन्ट और ब्लू इकोनॉमी को भी गुजरात का एक मुख्य स्ट्रेन्थ कहा जा सकता है। इस सेक्टर में अभी भारी पूँजी निवेश की ज़रूरत है और इसे अधिक विस्तार देने की ज़रूरत है। वहीं, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के क्षेत्र में तो गुजरात पहले से ही देश का नेतृत्व कर रहा है। गुजरात कई बड़े इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया है तो वहीं कच्छ में बन रहा विश्व का सबसे बड़ा हाइब्रिड रिन्युएबल पार्क रिन्युएबल एनर्जी दिशा में गुजरात की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा। गुजरात की अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव लाने के लिए इन सेक्टर्स के साथ-साथ यह भी ज़रूरी है कि गुजरात ग्रीन हाइड्रोजन और सेमी कंडक्टर का उत्पादन पर भी विशेष रूप से ध्याद दे और बड़े कदम उठाए।
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उपरोक्त विश्लेषण इस बात पर प्रकाश डालता है कि क्यों डॉ. हसमुख अढ़िया ने यह माना है कि गुजरात में भारत की पाँच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की यात्रा का नेतृत्व करने पूरी क्षमता और संभावना है। हालांकि किसी नीति या कोई रिपोर्ट भर जारी कर देने से उसके विकास, उपलब्धियां या उस नीति या किसी रिपोर्ट में दिए गए सुझावों की सफलता का आकलन नहीं किया जा सकता, उसके लिए नीति कार्यान्वयन के कई कठिन चरणों से भी गुजरना होता है, जिसमें गुजरात ने पहले ही निपुणता हासिल कर रखी है। पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पॉलिसी ड्रिवन स्टेट गुजरात को अच्छे से पता है कि किसी नीति को अपने अंजाम तक कैसे लाना है। इसके अलावा, गुजरात सरकार ने जिस तरह से बीते कई वर्षों से लगातार अलग-अलग क्षेत्रों में उपलब्धियां और पुरस्कार हासिल किए हैं वह भी यह साबित करते हैं कि गुजरात अपनी दूरदर्शिता, नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन में दूसरे राज्यों की तुलना में कहीं अधिक कुशल व आगे है। इसलिए हमें उम्मीद है कि गुजरात डॉ. अढ़िया के सुझावों को जल्द से जल्द लागू करेगा और भारत के पाँच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की यात्रा का नेतृत्व करेगा।
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