कमलनाथ के आधा दर्जन मंत्रियों ने की इस्तीफे की पेशकश, हो सकता है मंत्रिमंडल का विस्तार

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दिनेश शुक्ल । Mar 7 2020 9:45AM

उन मंत्रीयों ने आगे बढ़कर शहीद होने की बात कही जिनका सरकार में प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। सूत्रों की माने तो जिन मंत्रीयों ने इस्तीफे की पेशकश की उन्होनें मुख्यमंत्री कमलनाथ से कहा कि वह चाहते है कि हमारी जगह असंतुष्टों को मंत्री बना दिया जाए। कमलनाथ सरकार में अभी 28 कैबिनेट मंत्री है।

भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी उठा पटक के बीच कमलनाथ सरकार में आधा दर्जन मंत्रीयों ने इस्तीफे की पेशकश की है। पिछले पाँच दिनों से बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगा रही कांग्रेस के नेता प्रदेश में ढेड़ साल पहले बनी अपनी सरकार को बचाने के लिए हर तरह के जतन में जुट गए है। सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री निवास में मंत्रीयों की बैठक के दौरान कई वरिष्ठ तो कई युवा मंत्रीयों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। 

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सूबे में पिछले पाँच दिनों से सियासी शह-मात के खेल में जहाँ कांग्रेस की कमलनाथ सरकार और बीजेपी नेताओं के बीच नूरा कुश्ती चल रही है। इस बीच कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों सहित बसपा और सपा विधायकों ने हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप को नाकार दिया तो वही कांग्रेस के विधायक हरदीप सिंह डंग के सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस्तीफे को लेकर सियासत और तेज हो गई। जिसमें सुवासरा विधायक डंग ने अपनी उपेक्षा के आरोप लगाए थे। इसी के बाद मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक के दौरान कमलनाथ सरकार में शामिल मंत्रीयों ने असंतुष्टों को शांत करने इस्तीफे की पेशकश कर दी।

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कांग्रेस के बीजेपी नेताओं पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगाने के बीच एक बात साफ तौर पर भाजपा नेताओं ने कही कि गुटों में बंटी कांग्रेस अपने कुनबे को एकजुट नहीं रख पा रही और खरीद फरोख्त के आरोप बीजेपी पर मढ़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो यहाँ तक कह दिया कि अगर सरकार अपने बोझ से गिरती है तो उसमें बीजेपी का क्या दोष। इसके पीछे की वजह पर जाए तो पिछले ढेड़ साल से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनने के बाद जहाँ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा एक वजह बताई जा रही है तो दूसरी ओर सरकार में खुद के विधायकों की सुनवाई न होना भी एक बड़ी वजह के रूप में सामने आया है। जबकि कमलनाथ सरकार की कैबिनेट में शामिल ऐसे कई मंत्री है जिनका सरकार में प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है।

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लेकिन हॉर्स ट्रेड़िंग की सियासी हलचल के बीच मुख्यमंत्री ने जब मंत्रीयों की क्लास ली तो उन मंत्रीयों ने आगे बढ़कर शहीद होने की बात कही जिनका सरकार में प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। सूत्रों की माने तो जिन मंत्रीयों ने इस्तीफे की पेशकश की उन्होनें मुख्यमंत्री कमलनाथ से कहा कि वह चाहते है कि हमारी जगह असंतुष्टों को मंत्री बना दिया जाए। कमलनाथ सरकार में अभी 28 कैबिनेट मंत्री है। जिसमें मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक और करीबी विधायक ही मंत्री है। वही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव जीतने वाले प्रदीप जयसवाल को अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया है। प्रदीप जयसवाल मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी नेताओं में माने जाते है। लेकिन सूत्र बताते है कि हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच मंत्री प्रदीप जयसवाल के बयान से मुख्यमंत्री विचलित नज़र आ रहे है। मंत्री प्रदीप जयसवाल ने कहा था कि अगर सरकार गिरती है तो निर्दलीय विधायक होने के नाते उनके विकल्प खुले है वह बीजेपी के साथ भी जा सकते है। 

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लेकिन कुल मिलाकर डैमिज कंट्रोल में लगी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के मंत्रीयों के इस्तीफे की पेशकश ने एक बार फिर सियासी हलचल बढ़ा दी है। राजनीतिक पंडितों की माने तो मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने मंत्रीयों और विधायकों से वन टू वन चर्चा कर जल्द ही कैबिनेट विस्तार कर सकते है। यही नहीं इस बार कई विधायकों को राज्य मंत्री भी बनाया जा सकता है। जो कि पहले कैबिनेट विस्तार के समय कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के दवाब में संभव नहीं हो सका था।     

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