नोएडा में गिराए जाएंगे 1000 फ्लैट्स, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया

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Saheen khan । Oct 17 2021 1:05AM

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद HC के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि नोएडा में दो 40 मंजिला टावरों को गिराने के पक्ष में है फैसला। ऐसे में अब उन दोनों इमारतों को गिराया जाना तय हो गया है।

उत्तर प्रदेश। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद HC के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि नोएडा में दो 40 मंजिला टावरों को गिराया जाएगा।आपको बता दें की कोर्ट ने टावरों को गिराने के लिए तीन महीने का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लगभग 1000 फ्लैट वाले दो टावरों के निर्माण में नियमों के उल्लंघन किया गया था और सुपरटेक की तरफ से इन टावरों को अपनी लागत पर तीन महीने के भीतर तोड़ा जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सुपरटेक सभी घर खरीदारों को मुआवजा देगा और RWA को 2 करोड़ रुपए का भुगतान करेगा। इसके कोर्ट ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण और रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक की मिलीभगत के चलते एक प्रोजेक्ट पर दो टावर बनाने की इजाजत दी गई।

मिलीभगत के कारण अनधिकृत निर्माण हुआ

सुप्रीम कोर्ट ने मिली भगत बताते हुए कहा कि विकासकर्ताओं और शहरी नियोजन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण शहरी क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और इसे सख्ती से खत्म किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा Emarald Court सोसाइटी में 2 टावरों का निर्माण नियम उलंघन करके बनाया गया। इन टावर में 950 फ्लैट है। 42 माले का टॉवर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की जब नक्शा पास हुआ था तब ये दोनो टावर अप्रूव नहीं हुए थे। बाद में नियम का उलंघन करके ये टॉवर बनाए गए थे।

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फ्लैट मालिकों को देना होगा 12 प्रतिशत ब्याज

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि दोनों टावर को सुपरटेक अपने पैसे से 3 माह में गिराएगा। सुपरटैक सोसाइटी के आरडब्ल्यूए को दो करोड़ रुपया हर्जाना देगा। इसी के साथ फ्लैट मालिकों को 12 फीसदी ब्याज समेत पैसा देना होगा। फ्लैट मालिकों को दो महीने में सुपरटेक पैसा ब्याज के साथ वापस करेगा।मालूम हो कि फैसला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और MR शाह बेंच पर जस्टिस हिमा कोहली की पीठ की ओर से सुनाया गया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मामले का रिकॉर्ड ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जो बिल्डर के साथ नोएडा प्राधिकरण की मिलीभगत को दर्शाता है। RWA द्वारा स्वीकृत योजनाओं के इनकार को अदालत ने नोट किया है और मामले में मिलीभगत साफ मालूम पड़ती है। हाईकोर्ट ने मिलीभगत के इस पहलू को सही ढंग से देखा है। इसमें विनियमित ढांचे में निर्माण के सभी चरण शामिल हैं।

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