पूर्व मुख्य सचिव के साथ मारपीट के मामले में HC ने आरोप तय करने के लिए बहस की अनुमति दी

HC allows

दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशू प्रकाश के साथ मुख्यमंत्री आवास पर मारपीट के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की बहस प्रक्रिया को शुरू करने की अनुमति दे दी है।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तत्कालीन मुख्य सचिव के साथ कथित मारपीट मामले में सोमवार को निचली अदालत में आरोप तय करने के लिए बहस की अनुमति दे दी। इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आरोपी हैं। उच्च न्यायालय ने यह अनुमति तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के अनुरोध पर दिया। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने 14 अप्रैल 2019 को दिए अपने आदेश को भी संशोधित किया जिसमें निचली अदालत को इस मामले में सुनवाई नहीं करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति विभू बाखरु ने आदेश में कहा, ‘‘जहां तक 14 मार्च 2019 का आदेश है, उसमें संशोधन किया जाता है और निचली अदालत अब सुनवाई की प्रक्रिया शुरू करते हुए आरोप तय करने के लिए दोनों पक्षों की जिरह सुन सकती है।’’ प्रकाश ने अपनी याचिका में उच्च न्यायाल में केजरीवालऔर सिसोदिया द्वारा दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई का निर्देश देने का भी अनुरोध किया। केजरीवाल और सिसोदिया ने याचिका में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए कहा था कि मामले की जांच दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त से नीचे के पद का अधिकारी नहीं कर सकता। आम आदमी पार्टी (आप) के दोनों नेताओं ने निचली अदालत के 22 अक्टूबर 2018 के फैसले को भी चुनौती दी है जिसमें दिल्ली पुलिस के अधिकारी द्वारा अदालत से संबंद्ध नियमित लोक अभियोजक के बजाय दो अन्य वकीलों को अभियोजन की कार्यवाही करने की अनुमति दी गई है। 

इसे भी पढ़ें: राहुल ने सोनिया के सहयोग के लिए व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया

उच्च न्यायालय ने हालांकि, रेखांकित किया कि याचिका को सुनवाई के लिए दो नवंबर को सूचीबद्ध किया गया है, इसलिए उससे पहले इसपर सुनवाई संभव नहीं है। सुनवाई के दौरान प्रकाश का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि समय बचाने के लिए अगर आरोप तय करने के लिए सुनवाई होती है और नियमित लोक अभियोजक पक्ष रखते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। केजरीवाल और सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और एन हरिहरन ने कहा कि निचली अदालत द्वारा नियमित लोक अभियोजक द्वारा मामले को रखे जाने पर उन्हें भी कोई आपत्ति नहीं है। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के 22 नवंबर 2018 के आदेश के खिलाफ आप नेताओंकीयाचिका पर दिल्ली सरकार, पुलिस और प्रकाश को नोटिस जारी किये थे। गौरतलब है कि 22 अक्टूबर 2018 को निचली अदालत ने प्रकाश का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया था जिसमें उन्होंने मामले में पक्ष आप सरकार द्वारा तैयार पैनल के वकीलों के बजाय दिल्ली पुलिस द्वारा नामित वकीलों के जरिये रखने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। प्रकाश के मुताबिक 19 फरवरी 2018 को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर बैठक के दौरान उनके साथ मारपीट की गई। उनकी शिकायत पर आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। केजरीवाल, सिसोदिया और नौ अन्य आप विधायकों को 25 अक्टूबर 2018 को निचली अदालत ने जमानत दी। वहीं मामले में गिरफ्तार दो आरोपी विधायक अमानतुल्ला खान और प्रकाश जरवाल को उच्च न्यायालय से जमानत मिली।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़