HC ने केजरीवाल को प्रचार के दौरान सामान्य बयान देने, विशिष्ट आरोप नहीं लगाने का निर्देश दिया

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[email protected] । Jan 9 2020 7:31PM

न्यायमूर्ति ने कहा कि अदालत बयान देने के बाद केवल यह राय दे सकती सकती है कि क्या वह गलत था। न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘ आप क्या कहते हैं उसका अदालत अनुमोदन नहीं कर सकती।’’

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा वर्ष 2017 में गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान घूसखोरी को लेकर की गई टिप्पणी ‘‘विशिष्ट आरोप’’ थी और ऐसा करना समुचित नहीं है। साथ ही न्यायालय ने सलाह दी कि आने वाले चुनाव में वह सामान्य बयान दें। न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक की ओर से पेश बयान के मसौदे का अनुमोदन करने से इनकार करते हुए कहा कि कोई भी अदालत यह नहीं कह सकती कि चुनाव प्रचार के दौरान कौन सा सही बयान हो सकता है।  न्यायमूर्ति ने कहा कि अदालत बयान देने के बाद केवल यह राय दे सकती सकती है कि क्या वह गलत था।  न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘ आप क्या कहते हैं उसका अदालत अनुमोदन नहीं कर सकती।’’

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अदालत ने कहा, ‘‘उस तरह का विशिष्ट बयान मत दीजिए जैसा कि पिछली बार आपने दिया था। उस बयान में कुछ विशिष्ट आरोप थे जो समुचित नहीं है। सामान्य बयान दीजिये जिसमें किसी पर अंगुली न उठायी जाए। सामान्य बयान दीजिए।’’  हालांकि, मामले में न्यायालय ने कोई आदेश नहीं दिया क्योंकि केजरीवाल के वकील ने दोपहर के भोजन के बाद शुरू सुनवाई को स्थगित करने का अनुरोध किया जिसके बाद मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को सूचीबद्ध कर दी गई। 

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अदालत आप नेता की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 2017 में निर्वाचन आयोग की ओर से दिए गए दो आदेशों को चुनौती दी गई है। एक आदेश में लगातार चेतावनी देने के बाद टिप्पणी करने पर उनके भाषण की निंदा करने और दूसरा आदेश टिप्पणी को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश से संबंधित हैं।  उल्लेखनीय है कि सात और आठ जनवरी 2017 को गोवा में आयोजित चुनावी रैली में केजरीवाल ने मतदाताओं से कहा था कि कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों से पैसे ले लें लेकिन आप प्रत्याशी के पक्ष में ही मतदान करें।’’ इसके खिलाफ भाजपा ने दो शिकायतें दर्ज कराई थीं और कांग्रेस ने भी इस बयान की निंदा की थी। 

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