HC ने कन्हैया पर लगाया गया जुर्माना निरस्त किया, JNU के आदेश को बताया अवैध

HC repeats fine imposed on Kanhaiya, told JNU order illegal
[email protected] । Jul 21 2018 9:56AM

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत विरोधी कथित नारेबाजी की एक घटना के सिलसिले में जेएनयू के अपीलीय प्राधिकार द्वारा विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार के खिलाफ जुर्माने के आदेश को आज निरस्त कर दिया।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत विरोधी कथित नारेबाजी की एक घटना के सिलसिले में जेएनयू के अपीलीय प्राधिकार द्वारा विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार के खिलाफ जुर्माने के आदेश को आज निरस्त कर दिया। अदालत ने कुमार के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के अपीलीय प्राधिकार द्वारा दिए गए आदेश को अवैध, अतार्किक और नहीं टिकने वाला बताया। 

गौरतलब है कि 2016 में इस घटना के तहत एक कार्यक्रम में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए गए थे। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने विश्वविद्यालय के चार जुलाई के आदेश को निरस्त कर दिया और कहा कि अदालत का प्रथम दृष्टया ऐसा मानना है कि आदेश अनगिनत बिंदुओं पर टिकने योग्य नहीं है। इसके बाद विश्वविद्यालय के वकील ने दलील दी कि वह इस फैसले को वापस ले रहे हैं। 

अदालत ने यह विषय अपीलीय प्राधिकार को सौंपते हुए उसे नये सिरे से कानून के मुताबिक कार्यवाही शुरू करने को कहा। अदालत ने जेएनयू के छात्र उमर खालिद की इसी तरह की एक याचिका 16 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी क्योंकि इस पर सुनवाई के लिए आज वक्त नहीं बचा था। दरअसल, खालिद को 2016 की इस घटना के सिलसिले में विश्विद्यालय से निष्कासित कर दिया गया था और उस पर 20,000 रूपये का जुर्माना लगाया था। 

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि उनका मानना है कि रद्द किया गया कार्यालयी आदेश (कुमार के खिलाफ) अवैध, अतार्किक और अनुचित था। कुमार ने जेएनयू के चार जुलाई के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए 17 जुलाई को उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। कुमार को अनुशासनहीनता को लेकर दोषी ठहराया गया था और उन पर जुर्माना लगाया गया था। नारेबाजी की घटना के सिलसिले में कुमार पर 10,000 रूपये का जुर्माना लगाया गया था। संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए गए थे।

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