नगर निगमों में कुछ विधायकों को नामित करने पर HC ने केंद्र और दिल्ली सरकार को भेजा नोटिस

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[email protected] । Aug 6 2019 4:29PM

भाजपा नेता ने शुक्रवार को दायर अपनी याचिका में कहा है, ‘‘मौजूदा विधासनभा के कार्यकाल में विपक्षी पार्टी से एक भी विधायक को स्पीकर ने नामित नहीं किया। न सिर्फ इतना, बल्कि स्पीकर ने विधानसभा के उन्हीं सदस्यों को तीनों नगर निगमों का सदस्य भी नामित किया।’’

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शहर के नगर निगमों में कुछ विधायकों को नामित करने की अधिसूचना रद्द करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर मंगलवार को केन्द्र सरकार, अरविंद केजरीवाल नीत ‘आप’ सरकार और दिल्ली विधानसभा का रूख जानना चाहा। यह याचिका भाजपा विधायक विजेन्द्र गुप्ता ने दायर की है।  न्यायमूर्ति जी. एस. सिस्तानी और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली विधानसभा और दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार तथा उपराज्यपाल (एलजी) कार्यालय को नोटिस जारी कर उनसे याचिका पर जवाब मांगा है।हालांकि, अदालत ने गुप्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता चेतन शर्मा द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि भाजपा विधायक को पहले आना चाहिए था। 

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अदालत ने विधानसभा के वकील से कहा कि चूंकि सदन में ‘आप ’ भारी बहुमत में है,विधायकों को चक्रीय आधार पर नामित किया जा सकता था। बहरहाल, अदालत ने इस विषय की अगली सुनवाई 27 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।अधिवक्ता अश्वनी कुमार दूबे के मार्फत दायर याचिका में गुप्ता ने कहा है कि 13 विधायकों के समूह को ही नगर निगमों में बतौर पार्षद नामित किया जा रहा है।दिल्ली के रोहिणी से भाजपा विधायक गुप्ता ने आरोप लगाया है कि फरवरी 2015 में शहर में ‘आप’ के सरकार गठन करने के बाद से इस पार्टी के कुछ विधायकों को निर्धारित नियमों का उल्लंघन करते हुए नगर निगमों का बार-बार पार्षद नामित किया गया।

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भाजपा नेता ने शुक्रवार को दायर अपनी याचिका में कहा है, ‘‘मौजूदा विधासनभा के कार्यकाल में विपक्षी पार्टी से एक भी विधायक को स्पीकर ने नामित नहीं किया। न सिर्फ इतना, बल्कि स्पीकर ने विधानसभा के उन्हीं सदस्यों को तीनों नगर निगमों का सदस्य भी नामित किया।’’ उन्होंने याचिका में आरोप लगाया, ‘‘स्पीकर का यह कार्य पूर्वाग्रह वाला, मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 का उलट है।’’

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