हेगड़े ने अदालतों में फर्जी मामलों पर रोक लगाने का सुझाव दिया
एन. संतोष हेगड़े ने अदालतों में फर्जी मामलों पर ‘‘रोक लगाने’’ का सुझाव दिया है और कहा कि कानूनी व्यवस्था में बहुत सी अपीलें होने से न्याय मिलने में विलंब हो रहा है।
हैदराबाद। उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एन. संतोष हेगड़े ने अदालतों में फर्जी मामलों पर ‘‘रोक लगाने’’ का सुझाव दिया है और कहा कि कानूनी व्यवस्था में बहुत सी अपीलें होने से न्याय मिलने में विलंब हो रहा है। भारत के पूर्व सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि देश में काफी संख्या में अपीली और समीक्षा फोरम मौजूद हैं जहां कोई भी व्यक्ति न्यायिक प्रक्रियाओं में विलंब कर सकता है। उन्होंने कहा कि फर्जी मामलों पर भी किसी तरह की कानूनी रोक होनी चाहिए।
हेगड़े ने कहा, ‘‘जो भी व्यक्ति अदालत के फैसले का सामना करने में दिलचस्पी नहीं रखता उसके पास विभिन्न अपीली अदालतों में जाने या समीक्षा याचिका डालने का अवसर होता है। मुख्य धारा की अपीली अदालतों में भी अपील की काफी व्यवस्था है।’’ हेगड़े ने कहा कि अमेरिका में केवल दो फोरम हैं- निचली अदालत और अपीली अदालत। कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त ने कहा, ‘‘अमेरिका में लोग अपीली अदालतों में जाने से बचते हैं क्योंकि अगर वहां पाया गया कि मामला फर्जी है और वह कार्यवाही में विलंब करने का प्रयास कर रहा है तो उस व्यक्ति पर भारी जुर्माना लगाया जाता है। इसलिए वे अदालत में जाने से पहले कई बार सोचते हैं जबकि भारत में आप किसी भी वक्त अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि किरायेदारों, उधार लेने वालों और विवाह संबंधी विवादों में शामिल व्यक्तियों का एक वर्ग भी कानूनी मामलों में विलंब करना चाहता है।
हेगड़े ने कहा, ‘‘हर कानूनी विवाद में अदालतों में विलंब होने से एक पक्ष को फायदा होता है। यह महत्वपूर्ण बात है। हमारे पास ऐसी व्यवस्था है जहां मूल अदालतों में मामले छनकर आते हैं। उसके बाद (मूल अदालत) केवल एक अदालत होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट दीवानी मामलों की सुनवाई नहीं करता या ऐसे किसी मामले की सुनवाई नहीं करता जो अमेरिकी संविधान से इतर हो।’’ इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने विचार व्यक्त किया कि भारत के जो लोग काफी संख्या में मामलों के लंबित होने से चिंतित हैं, उन्हें समीक्षा अदालतों, विभिन्न अपीली अदालतों की संख्या कम करने के बारे में काफी गंभीरता से सोचना चाहिए। हेगड़े ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने भले ही इस सुझाव से इंकार किया है लेकिन मेरा मानना है कि क्षेत्रीय अपीली अदालत उच्चतम न्यायालय से काफी बेहतर हैं। दिल्ली में एक उच्चतम न्यायालय के अपीली अदालत होने से उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता। कुछ सुझाव हैं जिन पर गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए।’’
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