बकाया पीएफ के लिए तीन साल तक लड़े हेत्रम पाल, मौत के एक घंटे बाद पत्नी को मिला पैसा
एक सहकारी मिल में काम करने वाले 63 वर्षीय हेत्रम पाल 2018 में सेवानिवृत्ति हुए। पीएफ की रकम पाने के लिए 3 साल तक संघर्ष करने के बाद सोमवार को उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु के कुछ घंटों बाद, अधिकारियों द्वारा उनके पीएफ खाते से 3 लाख रुपये उसकी पत्नी के बैंक में ट्रांसफर करें गए।
उत्तरप्रदेश के बरेली जिले के हेत्रम पाल ने अपनी पीएफ को लेकर पिछले 3 साल तक संघर्ष किया और अंत में सोमवार को स्वास्थ्य कारणों की वजह से उन्होंने अपनी जान गवा दी। मौत के 1 घंटे बाद उनकी पीएफ की रकम उनकी पत्नी के अकाउंट में ट्रांसफर की गयी। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक एक सहकारी मिल में काम करने वाले 63 वर्षीय हेत्रम पाल 2018 में सेवानिवृत्ति हुए। सेवानिवृत्ति के बाद, हेत्रम पाल ने अपनी बचत का ज्यादातर हिस्सा बदायूं में एक घर खरीदने पर खर्च कर दिया था। बिगड़ते स्वास्थ्य की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बदतर होती गयी। पीएफ की रकम पाने के लिए 3 साल तक संघर्ष करने के बाद सोमवार को उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु के कुछ घंटों बाद, अधिकारियों द्वारा उनके पीएफ खाते से 3 लाख रुपये उसकी पत्नी के बैंक में ट्रांसफर करें गए।
बदायूं के पास एक शहर उझानी में किसान सहकारी चीनी मिल्स जहां हेत्रम पाल ने 40 से अधिक वर्षों तक काम किया वहां के महाप्रबंधक राजीव कुमार रस्तोगी हेत्रम पाल के परिवार को लिखित रूप में आश्वासन दिया कि लंबित राशि एक या दो किस्तों में उनके बैंक में जमा की जाएगी। टीओआई से बात करते हुए राजीव कुमार रस्तोगी ने बताया कि 2018 में सेवानिवृत्त हुए 100 से अधिक अन्य कर्मचारी हैं जो एक ही लड़ाई लड़ रहे हैं। भुगतान उनके खाते के विवरण के साथ मुद्दों के कारण लंबित थे। हेत्रम पाल के मामले में यह उनकी जन्म तिथि के साथ एक मुद्दा था।
हेत्रम पाल के बेटे महेश ने कहा कि मेरे पिता मिल में हर महीने 28,000 रुपये कमाते थे। सेवानिवृत्ति के तीन साल बाद भी उनके पीएफ का निपटान नहीं किया गया था। उन्होंने लगभग 40 वर्षों तक मील की सेवा की लेकिन प्रशासन को नहीं लगा कि उनकी वफादारी का कोई मूल्य है। उन्होंने कई आवेदन दिए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हमारी आर्थिक स्थिति कमजोर है और मेरे पास स्थिर नौकरी भी नहीं है। अपनी मेहनत की कमाई खोने के डर से मेरे पिता अस्वस्थ रहे। उनका इलाज चल रहा था लेकिन वह ठीक नहीं हुए। महेश ने आगे बताया कि उन्होंने मील प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया और प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए पुलिस से संपर्क किया। लेकिन अंचल अधिकारी आलोक मिश्रा ने बीच बचाव करके मिल के महाप्रबंधक को थाने बुलाया। तब उसकी मां के खाते में 3 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे।
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