उच्च न्यायालय ने बीएमसी ने पूछा, गैर-कानूनी नर्सिंग होम के खिलाफ सख्ती क्यों नहीं?

High Court
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न्यायमूर्ति अनिल मेनन और न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक की पीठ ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से पूछा कि पिछले साल दिसंबर में 1,574 क्लीनिक या निजी अस्पतालों के नागरिक निकाय द्वारा किए गए एक निरीक्षण से पता चला कि केवल 687 ने ही अग्नि सुरक्षा और अन्य मानदंडों का अनुपालन किया था।

मुंबई। बम्बई उच्च न्यायालय ने सोमवार को मुंबई के नगर निकाय से यह पूछा कि वह गैर-कानूनी नर्सिंग होम के खिलाफ सख्ती क्यों नहीं बरत रहा है। न्यायमूर्ति अनिल मेनन और न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक की पीठ ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से पूछा कि पिछले साल दिसंबर में 1,574 क्लीनिक या निजी अस्पतालों के नागरिक निकाय द्वारा किए गए एक निरीक्षण से पता चला कि केवल 687 ने ही अग्नि सुरक्षा और अन्य मानदंडों का अनुपालन किया था। अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे शकील शेख नामक व्यक्ति नेअधिवक्ता मोहम्मद ज़ैन खान के माध्यम से दायर की थी।

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याचिका में 2019 की एक घटना पर प्रकाश डाला गया है, जहां शहर में आवश्यक अग्नि सुरक्षा मानकों को पूरा किए बिना आयोजित एक अनधिकृत स्वास्थ्य शिविर में एक दुर्घटना हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप तीन साल के बच्चे की मौत हो गई थी। बीएमसी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने उच्च न्यायालय को अवगत कराया कि बीएमसी ने कार्रवाई की, लेकिन अक्सर वह उन्हें बंद कराने में इसलिए असमर्थ रहा, क्योंकि इन अवैध नर्सिंग होम में मरीज थे। अदालत ने कहा, ‘‘हमें यह समझ में नहीं आता है कि बीएमसी इतनी शक्तिहीन कैसे हो गयी है कि वह अवैध नर्सिंग होम का संचालन इसलिये बंद नहीं कर सकती है कि क्योंकि वहां 10 लोग हैं?

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अगर ऐसे नर्सिंग होम में अग्नि सुरक्षा के उपाय नहीं है और फिर भी लोग वहां भर्ती हैं, तो इसका मतलब यह है कि आपदा की प्रतीक्षा की जा रही है।’’ अदालत ने बीएमसी को एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया कि शहर में कितने क्लीनिक या नर्सिंग होम का संचालन बिना लाइसेंस और/या बगैर अग्नि सुरक्षा उपायों के हो रहा है। अदालत ने यह भी कहा कि बीएमसी ने उन मरीजों के बारे में क्या किया, जिनका ऐसे नर्सिंग होम में इलाज चल रहा है।

अदालत ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि आप कम से कम उन्हें (मरीजों) किसी दूसरे अस्पताल या सुविधा केंद्र में स्थानांतरित कर ही सकते हैं। क्या आप इसे हलफनामे में कह सकते हैं? इसके अलावा, यह भी, कि यह पता लगाना कितना मुश्किल है कि इसके पीछे कौन है? आपने इन अनधिकृत क्लीनिकों या नर्सिंग होम में से कइयों में कोविड का उपचार किया है, इसलिए आपको यह जानना चाहिए कि आखिर इनके पीछे कौन हैं?’’ अदालत ने बीएमसी और शहर के अग्निशमन विभाग को तीन सप्ताह के भीतर अपना-अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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