हाई कोर्ट ने प्रहलाद लोधी की सज़ा पर लगाई रोक, क्या बरकरार रहेगी विधायकी भार्गव ने किया स्वागत

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दिनेश शुक्ल । Nov 7 2019 6:52PM

उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक 7 जनवरी 2020 तक उनकी सज़ा पर रोक रहेगी। विशेष कोर्ट के निर्णय के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने प्रहलाद लोधी की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी थी और निर्वाचन आयोग ने भी पवई विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया था।

भोपाल। मध्यप्रदेश में पवई विधानसभा से विधायक रहे प्रहलाद लोधी को विशेष कोर्ट द्वारा दो साल की सज़ा पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक 7 जनवरी 2020 तक उनकी सज़ा पर रोक रहेगी। विशेष कोर्ट के निर्णय के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने प्रहलाद लोधी की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी थी और निर्वाचन आयोग ने भी पवई विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया था। गुरूवार को आए जबलपुर हाई कोर्ट के फैसले के बाद संवैधानिक संकट पैदा हो गया है।   

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अब जहाँ बीजेपी यह कह रही है कि प्रहलाद लोधी की विधायकी बरकरार रहेगी। तो वही कांग्रेस ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। जबकि नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने लोधी को हाईकोर्ट से सज़ा पर रोक लगाने के फैसले को स्वागत योग्य बताया है। गोपाल भार्गव ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से गलत मानसिकता के साथ संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करती आई है। विधायक प्रहलाद लोधी के मामले में भी विधानसभा अध्यक्ष ने निष्पक्षता को दरकिनार करते हुए राजनीति से प्रेरित होकर निर्णय लिया था। विधानसभा सचिवालय ने पवई के लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि को ग़लत तरीक़े से बर्खास्त किया गया था। जबलपुर हाईकोर्ट ने पवई के लोगों को न्याय दिया यह पवई के लोगों की बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि प्रहलाद लोधी  को विधानसभा अध्यक्ष ने पहले अपना पक्ष रखने का मौक़ा नहीं दिया गया था। इसलिए हाई कोर्ट ने सरकार के दबाव में विधानसभा अध्यक्ष ओर विधानसभा सचिवालय द्वारा जल्दबाजी में लिए गए निर्णय पर भी तल्ख़ टिप्पणी कर नाराजगी व्यक्त की है। 

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नेता प्रतिपक्ष विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रज्ञापति पर सवाल उठाते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को आज हाईकोर्ट के निर्णय पर संज्ञान लेकर अपने द्वारा विधायक की सदस्यता बर्खास्तगी के फैसले पर आत्ममंथन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष सदन में समस्त विधायकों के संरक्षक है। उन्हें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर निर्णय लेना चाहिए।  भाजपा की पिछले 15 साल सरकार में कभी भी ऐसा मौका नही आया कि विपक्षी दल के विधायकों को लेकर एकतरफा निर्णय लिया गया। लेकिन कांग्रेस सरकार में जिस तरह सत्ता का दुरुपयोग कर भाजपा विधायकों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है। प्रहलाद लोधी के मामले भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा आनन-फानन में दिया गया निर्णय गलत था। मुझे आशा है कि भविष्य में सरकार के दबाव में विधानसभा अध्यक्ष ऐसी कोई कदम उठाने से बचेंगे। 

 

विपक्ष के आरोपों के बाद पवई से विधायक रहे प्रहलाद लोधी की विधानसभा सदस्यता को लेकर संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। जिसको लेकर विधानसभा सचिवालय और निर्वाचन आयोग के आगे प्रहलाद लोधी की विधानसभा सदस्यता को लेकर सवाल खडे हो गए है। 

 

 

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