हाई कोर्ट की दिल्ली सरकार को फटकार! कहा- मुश्किल समय में गिद्धों की तरह बर्ताव न किया जाए
दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर इस समय दिल्ली के हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। कोर्ट ने दिल्ली में मौजूदा हालात को लेकर सरकार को फटकार लगायी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने बहुत ही स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सरकार को जल्द से जल्द मौजूदा स्थिति को ठीक करना होगा।
दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर इस समय दिल्ली के हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। कोर्ट ने दिल्ली में मौजूदा हालात को लेकर सरकार को फटकार लगायी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने बहुत ही स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सरकार को जल्द से जल्द मौजूदा स्थिति को ठीक करना होगा। सब को साथ मिलकर काम करना होगा। मरीज अस्पताल में आता है तो उसे 10 मिनट के अंदर ऑक्सीजन उपबल्ध हो, इस चीज को सरकार को सुनिश्चित करना होगा। ऑक्सीजन का दिल्ली सरकार अस्पतालों में व्यवहारिक आवंटन करेगी। कोर्ट ने दिल्ली के हालतों को देखते हुए सरकार से कहा कि दिल्ली सरकार का सिस्टम फेल हो चुका है।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि इस मुश्किल के समय में गिद्धों की तरह बर्ताव करने का समय नहीं है। ऑक्सीजन और कोरोना की दवाईयों की जो कालाबजारी हो रही हैं उस पर दिल्ली सरकार तुरंत कार्यवाई करें। काला बाजारी पर तुरंत रोक लगायी जाए। दिल्ली सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि वह जल्द से जल्द दिल्ली के हालात को कंट्रोल में कर लेगी।
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आपकों बता दें कि इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने वाहन कबाड़ दिशानिर्देशों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र और आम आदमी पार्टी सरकार को मंगलवार को नोटिस जारी किये था। याचिका में कहा गया है कि नए नियमों के तहत लाइसेंस लेने की जरूरत से छोटे और सीमांत कबाड़ कारोबारी इसके दायरे में नहीं आ पाएंगे। याचिका में कहा गया कि दिल्ली सरकार का दिशानिर्देश “छोटे और अर्ध-औपचारिक आटोमोबाइल कबाड़ कारोबारियों के बेहद खिलाफ है” जो पीढ़ियों से इस करोबार में लगे हुए हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने केंद्र के पर्यावरण एवं परिवहन मंत्रालय के साथ ही दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर दिल्ली के रहने वाले इंद्रजीत सिंह की याचिका पर उनका पक्ष पूछा है। याचिकाकर्ता का दावा है कि दिल्ली मोटर वाहन कबाड़, 2018 दिशानिर्देश जारी करने से पहले छोटे कारोबारियों से राय नहीं ली गई।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि 2018 के दिशानिर्देश “असंवैधानिक, मनमाने और अनुचित” हैं तथा मोटर वाहन अधिनियम के विपरीत हैं क्योंकि इसके तहत सिर्फ केंद्र को ही वाहन और उसके पुर्जों के रीसाइक्लिंग करने की शक्ति दी गई है। याचिका में इनदिशानिर्देशों को शून्य घोषित करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया है।
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