कर्नाटक में हिजाब vs भगवा: CM बोम्मई ने शांति कायम रखने की अपील की, हाईकोर्ट में आज सुनवाई

karnataka protest
अंकित सिंह । Feb 8 2022 11:13AM

इन सबके बीच इस मामले को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट में आज सुनवाई होनी है। इसको लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी जिस पर आज फैसला होना है। दूसरी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने छात्रों से शांति कायम करने की अपील की है बावजूद इसके छात्राएं अब भी हिजाब पहनने की अपनी मांग पर अड़ी हुई हैं।

कर्नाटक में हिजाब पहनने का विवाद गहराता जा रहा है। कुछ छात्राओं ने यूनिफॉर्म को लेकर सरकार के आदेश का उल्लंघन करने की मंशा जाहिर कर दी है। इन सबके बीच आज उडुपी में मामला बड़ा होता दिखाई दे रहा है। उडुपी के महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया यहां हिजाब पहने छात्रों और भगवा टोपी-गमछा पहने छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। दोनों समूह कॉलेज परिसर में नारे लगाते दिखाई दे रहे। एक पक्ष की मांग है कि सरकार अपना यूनिफॉर्म आदेश वापस ले और हिसाब में कॉलेज आने की अनुमति दें। जबकि दूसरा पक्ष यह दावा कर रहा है कि अगर कुछ लोगों को हिजाब में आने की इजाजत दी जाएगी तो हम भी भगवा गमछे और टोपी में कॉलेज परिसर में आ सकते हैं।

इन सबके बीच इस मामले को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट में आज सुनवाई होनी है। इसको लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी जिस पर आज फैसला होना है। दूसरी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने छात्रों से शांति कायम करने की अपील की है बावजूद इसके छात्राएं अब भी हिजाब पहनने की अपनी मांग पर अड़ी हुई हैं। कर्नाटक के अलग-अलग के कॉलेज में इको लेकर विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। मामला संसद में भी पहुंच चुका है। कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा कि कर्नाटक में कई कॉलेज में छात्राएं कक्षाओं के बाहर बैठकर अपने अधिकारों की मांग कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ‘हिजाब’ मुस्लिम महिलाओं की उसी तरह सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान है, जिस तरह हिंदू महिलाओं के लिए ‘मंगलसूत्र’, ईसाइयों के लिए क्रूसिफिक्स (क्रॉस) और सिखों के लिए ‘पगड़ी’ होती है। 

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वहीं, शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने कहा कि हिजाब पहनने की मांग करने वाली छात्राओं को सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इसके बाद उन्होंने कॉलेज के बाहर सड़क पर प्रदर्शन कर रही छात्राओं को एक अलग कमरे में बैठने को कहा और उन छात्राओं कक्षा में बैठकर पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई। नागेश ने कहा, “सड़क पर प्रदर्शन करने से बाधा पैदा होती है। इसलिए उन्हें एक अलग कमरे में बैठने को कहा गया लेकिन किसी भी सूरत में उन्हें (हिजाब के साथ) कक्षा में बैठने या उनके लिए अलग से कक्षाएं संचालित करने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि लड़कियों का सड़क पर बैठना भारतीय संस्कृति नहीं है।

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