विदेषी पर्यटकों की आमद से हिमाचल में बेलगाम हो रहा है नशे का कारोबार
सेना में अनिवार्य सेवा देने के बाद चिकित्सीय अनुभव के लिए कुल्लू जिले के कुछ इलाकों में बड़ी संख्या में इजरायली पर्यटक आते हैं और इन क्षेत्रों को नशे के कारोबार का केन्द्र बनाकर क्षेत्र की संवेदनशीलता को बढ़ाने का कारण बनते हैं। यही नहीं अधिक तथा जल्दी पैसा कमाने के प्रलोभन ने स्थानीय किसानों को गुप्त रूप से भांग व अफीम की खेती के लिए प्रेरित किया है।
शिमला। पड़ोसी प्रदेश पंजाब की तरह हिमाचल प्रदेश में भी नशा अपने पैर पसारने लगा है। राज्य सरकार के दावों के विपरीत बढ़ते नशीले पदार्थों ने युवाओं को अपनी चपेट में ले लिया है। अब विदेशी पर्यटकों के लिये प्रदेष की वादियां सुलभ ठिकाना बन गया है। प्रदेश में भांग, चरस, अफीम, हेरोईन व चिट्टा जैसे नशे आसानी से सुलभ हो रहे हैं। दरअसल, हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी प्राकृतिक सुंदरता व मनोहारी दृशयों के बजाये नशे के गढ़ के रूप में तबदील होती जा रही है। सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि नशे का अधिकांश व्यापार कुल्लू घाटी में ही होता है जहां भारी तादाद में विशेषकर इजऱायल से सैलानी हर साल आते है और पुलिस के कड़े प्रयासों के बावजूद भी इस पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पाया है। सेना में अनिवार्य सेवा देने के बाद चिकित्सीय अनुभव के लिए कुल्लू जिले के कुछ इलाकों में बड़ी संख्या में इजरायली पर्यटक आते हैं और इन क्षेत्रों को नशे के कारोबार का केन्द्र बनाकर क्षेत्र की संवेदनशीलता को बढ़ाने का कारण बनते हैं। यही नहीं अधिक तथा जल्दी पैसा कमाने के प्रलोभन ने स्थानीय किसानों को गुप्त रूप से भांग व अफीम की खेती के लिए प्रेरित किया है।
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हिमाचल प्रदेश में नारकोटिक ड्रग्ज़ एंड साइकोट्रॉपिक्स सबस्टांस अधिनियम के तहत पंजीकृत मामलों की संख्या में पिछले दशक में कई गुणा वृद्धि दर्ज हुई है। सरकारी आंकडो के मुताबिक एक जनवरी, 2020 से 30 अप्रैल, 2021 तक एनडीपीएस अधिनियम की संबंधित धारा के अंतर्गत कुल 2126 मामले दर्ज किए गए हैं और 2909 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है। इस अवधि के दौरान विभिन्न खुफिया अभियानों के माध्यम से बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित पदार्थों की अवैध खेती का पता लगाकर इसे नष्ट किया गया है। इस दौरान 7917 बीघा भूमि में लगभग 12.52 लाख भांग के पौधे और 52 बीघा भूमि में 2.66 लाख अफीम के पौधे नष्ट किए गए हैं। भू-स्वामियों व अपराधियों के विरूद्ध 161 मामले दर्ज किए गए हैं। हाल ही में राज्य पुलिस ने मंडी जिले के पधर की टिक्कन उप-तहसील के अंतर्गत चैहार घाटी में 66 बीघा भूमि पर 10 करोड़ रुपये मूल्य के 15 लाख अफीम के पौधे की अवैध खेती का पता लगाने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि एनडीपीएस अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराधियों द्वारा नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार से अर्जित चल और अचल सम्पत्तियों को अटैच करने के लिए वित्तीय जांच की गई है।
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प्रदेश पिछले एक वर्ष में 19 विभिन्न मामलों में 11.37 करोड़ रुपये की सम्पत्ति अटैच और फ्रीज़ की गई, जिसमें जिला कुल्लू में 15 मामलों में 3.79 करोड़ रुपये की सम्पत्ति व जिला कांगड़ा में दो मामलों में 7.29 करोड़ रुपये की सम्पत्ति अटैच तथा जिला बिलासपुर के एक मामले में 18.31 लाख रुपये व जिला शिमला के एक मामले में 10.67 लाख रुपये के बैंक डिपोटिज फ्रीज़ किए गए हैं। प्रदेश पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू बताते हैं कि हिमाचल में चिट्टे की सप्लाई जम्मू-कश्मीर और नाइजीरिया से की जा रही है। पड़ोसी प्रदेश पंजाब व दिल्ली से भी नशा तस्कर यहां की आबोहवा में नशे का जहर घोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पड़ोसी राज्यों के कई नशा तस्कर हिमाचल की जेलों में बंद हैं। इसके अलावा नाइजीरिया की नागरिकता रखने वाले कई विदेशी भी नशे के कारोबार में संलिप्त होने पर जेलों में कैद हैं।
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उन्होंने कहा कि नशा तस्कर पहले खुद नशे का शिकार हो रहे हैं, और फिर अन्य लोगों को नशा परोस रहे हैं। यह बात यहां पर हेरोइन की तस्करी के मामलों में सामने आई है। नशा बेचकर अच्छी कमाई का लालच युवाओं को देकर उन्हें इस धंधे में धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक आकलन के अनुसार पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी युवा शक्ति को खराब करने के लिए हेरोइन भेजने का कार्य कर रहे हैं। प्रदेश में नेपाल और जम्मू-कश्मीर के रास्ते नशीले पदार्थ भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नशे के खिलाफ जहां पुलिस प्रशासन लोगों को जागरूक कर रहा है। वहीं, कई सेलिब्रिटीज भी लोगों को नशे के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में चेता रहे हैं। उन्होंने कहा कि तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा का नशे के खिलाफ संदेश विश्व भर में प्रचारित हुआ है। फ्लाइंग सिख 91 वर्षीय मिल्खा सिंह ने भी नशे के खिलाफ संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि इस संदेश को प्रदेश पुलिस ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है। प्रदेश के सभी जिलों में अफीम-पोस्त की खेती को समाप्त करने के लिये हाल ही में एक व्यापक अभियान शुरू किया गया है, विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में जहां नशीले पदार्थों की खेती की संभावना रहती है। संजय कुंडू ने कहा कि राज्य पुलिस प्रवर्तन निदेशालय के सहयोग से ऐसे अपराधियों के विरूद्ध धन-शोधन निवारण अधिनियम के अंतर्गत जांच करने पर विचार कर रही है।
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