Kashmiri Tilla Embroidery महिलाओं की पहली पसंद, हाथ से की गयी टिल्ला कढ़ाई को आज भी दी जाती है तरजीह

Kashmiri Tilla Embroidery
Prabhasakshi

टिल्ला कढ़ाई में सोने और चांदी के धातु के धागे की आवश्यकता होती है। टिल्ला कारीगर धैर्यपूर्वक कपड़े को धागों द्वारा बनाए गए विभिन्न पैटर्न से सजाते हैं। कश्मीर में दुल्हन के साजो-सामान को टिल्ला कशीदाकारी वस्त्र विशेषकर फेरन के बिना अधूरा माना जाता है।

कश्मीर में महिलाएं कपड़ों पर मशीन से बनी कढ़ाई की बजाय हाथ से बनी टिल्ला कढ़ाई को तरजीह देती हैं। हम आपको बता दें कि टिल्ला कढ़ाई सबसे मशहूर कश्मीरी हस्तशिल्प में से एक है। इसे महिलाओं के कपड़ों पर रॉयल लुक देने के लिए प्रयोग किया जाता है। टिल्ला कश्मीर का एक पारंपरिक शिल्प है जिसका उपयोग फेरन और शॉल को सजाने के लिए किया जाता है। पिछले कई वर्षों से टिल्ला कढ़ाई साड़ी, सलवार कमीज और अन्य कपड़ों पर भी की जाती है।

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यह एक प्रकार का कढ़ाई का काम है, जिसमें सोने और चांदी के धातु के धागे की आवश्यकता होती है। टिल्ला कारीगर धैर्यपूर्वक कपड़े को धागों द्वारा बनाए गए विभिन्न पैटर्न से सजाते हैं। कश्मीर में दुल्हन के साजो-सामान को टिल्ला कशीदाकारी वस्त्र विशेषकर फेरन के बिना अधूरा माना जाता है। इसे चांदी या सोने के धागों की मदद से बनाया जाता है। टिल्ला डिजाइन निचले गले, कफ और परिधान पर किया जाता है। हम आपको यह भी बता दें कि पहले टिल्ला का काम केवल फेरन पर किया जाता था अब यह सूट, शॉल और साड़ियों जैसे विभिन्न परिधानों पर किया जाता है। एक फेरन पर टिल्ला की कढ़ाई को पूरा करने में लगभग एक महीने का समय लगता है। हालांकि बाजार में मशीन से किए गए टिल्ला वर्क के कपड़े भी उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत हाथ से किए गए टिल्ला वर्क की तुलना में 4 गुना कम है। लेकिन महिलाओं की पहली पसंद हाथ से बनी टिल्ला कढ़ाई ही है।

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