हिज्बुल आतंकवादी दानिश अहमद ने किया आत्मसमर्पण
हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सबजार भट की पिछले हफ्ते तदफीन के दौरान बनाए गए वीडियो में दिखे संगठन के एक आतंकी ने कश्मीर में अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
श्रीनगर। हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सबजार भट की पिछले हफ्ते तदफीन (अंतिम संस्कार) के दौरान बनाए गए वीडियो में दिखे संगठन के एक आतंकी ने कश्मीर में अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। पुलिस ने आज बताया कि जांच में सामने आया कि उसका नाम दानिश अहमद है और वह उत्तर कश्मीर के हंदवाड़ा का रहने वाला है तथा देहरादनू में दून पीजी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी में पढ़ रहा है।
पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए एक वीडियो में दिखा कि एक आतंकी जंगी पाउच पहना हुआ है और उसके पास एक हथगोला है। उन्होंने कहा कि यह वीडियो स्वयंभू आतंकी कमांडर सबजार भट की तदफीन के दौरान त्राल इलाके में स्थानीय मीडियाकर्मियों ने शूट किया था। प्रवक्ता ने कहा कि दानिश 2016 में अशांति के दौरान हंडवाड़ा में पथराव की घटनाओं में शामिल रहा था। उसे पुलिस ने हिरासत में लिया था लेकिन उसके कॅरियर को देखते हुए उसकी काउंसलिंग करा कर उसे छोड़ दिया था।
आतंकवाद में दानिश की संलिप्तता स्थापित होने के बाद, सुरक्षा बलों ने उसके माता-पिता से संपर्क किया और उनके बेटे को समर्पण करने के लिए काउंसलिंग की जरूरत के बारे में समझाया। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता मान गए कि अगर वह समर्पण करता है तो उसके साथ कानून के तहत निष्पक्षता से बर्ताव किया जाएगा। सुरक्षा बलों की कोशिशों का परिणाम निकला और दानिश ने हंडवाड़ा में पुलिस और सेना की 21 राष्ट्रीय राइफल्स के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
पूछताछ में दानिश ने बताया कि वह सोशल मीडिया पर आतंकियों के संपर्क में आया जिन्होंने उसे उनके साथ शामिल होने के लिए समझाया। उन्होंने कहा कि हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडरों ने उसे उत्तर कश्मीर में कुछ स्थानीय युवकों को सक्रिय करने और क्षेत्र को दक्षिण कश्मीर के इलाकों की तरह ही आतंकवाद प्रभावित बनाने का काम सौंपा। प्रवक्ता ने कहा कि बहरहाल, दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों के साथ कुछ दिन बिताने के बाद उसे आतंकवाद में शामिल होने की निरर्थकता का अहसास हुआ। उन्होंने कहा कि दानिश के खिलाफ कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले पर जम्मू कश्मीर में समर्पण करने वाले आतंकियों के पुनर्वास से संबंधित नीति के तहत विचार किया जा रहा है।
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