गृह मंत्रालय ने इन राज्यों में BSF का बढ़ाया क्षेत्राधिकार, पंजाब और बंगाल कर सकते हैं विरोध

BSF
अभिनय आकाश । Oct 13 2021 12:50PM

बीएसएफ के जनादेश में अतिरिक्त 35-किमी का विस्तार गैर-भाजपा शासित राज्यों पंजाब और बंगाल में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। कांग्रेस शासित पंजाब और तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल की सरकार गृह मंत्रालय के इस कदम को अपने अधिकारों पर अतिक्रमण बताकर विरोध कर सकती है।

गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया है। अब बीएसएफ के अधिकारियों के पास पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में देश की सीमा से लगते 50 किलोमीटर तक के इलाकों में तलाशी, गिरफ्तारी और जब्ती की शक्तियां भी मिल गई है। यानी की 50 किलोमीटर के दायरे में अब बीएसएफ के पास पुलिस के समान अधिकार हो जाएंगे जो कि पहले 15 किलोमीटर का दायरा ही था। गुजरात में बीएसएफ के तहत सीमा का विस्तार 80 किमी से कम होकर 50 किमी हो गया है, जबकि राजस्थान में दायरा क्षेत्र पहले की तरह ही 50 किमी है। पांच पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर या जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों के लिए ऐसी कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।

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बीएसएफ के पास ये होंगे अधिकार

सीमा सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 की धारा 139 केंद्र को समय-समय पर सीमा बल के संचालन के क्षेत्र और सीमा को अधिसूचित करने का अधिकार देती है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार गृह मंत्रालय की तरफ से अधिसूचना जारी की गई है जिसके तहत, केंद्र सरकार ने सीमा से लगे इलाकों के 'शेड्यूल' को संसोधित किया है। जहां बीएसएफ के पास पासपोर्ट अधिनियम, एनडीपीएस अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम जैसे अधिनियमों के तहत तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की शक्तियां होंगी। 22 सितंबर, 1969, 11 जून 2012 और 3 जुलाई 2014 को को जारी पहले की अधिसूचनाओं के अनुसार 'अनुसूची' क्षेत्र में मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा मेघालय और जम्मू-कश्मीर और गुजरात में 80 किमी बेल्ट, राजस्थान में 50 किमी और बंगाल, असम और पंजाब में 15 किमी सीमा दायरा निर्धारित है। 

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गैर बीजेपी शासित राज्य कर सकते हैं विरोध

बीएसएफ के जनादेश में अतिरिक्त 35-किमी का विस्तार गैर-भाजपा शासित राज्यों पंजाब और बंगाल में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। कांग्रेस शासित पंजाब और तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल की सरकार गृह मंत्रालय के इस कदम को अपने अधिकारों पर अतिक्रमण बताकर विरोध कर सकती है। उनके द्वारा अपनी शक्तियों के अतिक्रमण और संघीय ढांचे के खिलाफ वाला ये कदम लग सकता है। बीएसएफ कानून के प्रावधान कहते हैं कि हर आदेश को संसद के दोनों सदनों के सामने पेश किया जाना जरूरी है, जहां उनमें संशोधन की सिफारिश या उन्हें खारिज किया जा सकता है। 

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