सिब्बल के स्पष्टीकरण के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री जिम्मेदार की तरह व्यवहार करेंगे: भाजपा

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[email protected] । Jan 20 2020 10:02AM

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के नागरिकता कानून संबंधी बयान के एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीद जतायी है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इस मुद्दे पर जिम्मेदारी पूर्वक व्यवहार करेंगे। पंजाब विधानसभा ने सीएए को ‘‘स्वाभाविक रूप से भेदभावपूर्ण’’ करार दिया था और इसे तत्काल प्रभाव से वापस लेने संबंधी एक प्रस्तााव पारित किया था।

चंडीगढ़। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के नागरिकता कानून संबंधी बयान के एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीद जतायी है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इस मुद्दे पर जिम्मेदारी पूर्वक व्यवहार करेंगे। उल्लेखनीय है कि सिब्बल ने एक दिन पहले कहा था कि राज्य सरकारें संशोधित नागरिकता कानून लागू करने से इंकार नहीं कर सकती हैं क्योंकि यह संसद में पारित किया गया है। 

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पंजाब विधानसभा ने शुक्रवार को संशोधित नागरिकता कानून को ‘‘स्वाभाविक रूप से भेदभावपूर्ण’’ करार दिया था और इसे तत्काल प्रभाव से वापस लेने संबंधी एक प्रस्तााव पारित किया था। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि इस मुद्दे पर उनकी सरकार उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगी। इससे पहले केरल सरकार भी इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय जा चुकी है।

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ ने दावा किया कि कांग्रेस में कानून के शीर्ष विशेषज्ञ सिब्बल ने यह स्पष्ट किया है कि (संशोधित नागरिकता कानून पर) अमरिंदर का रुख और पंजाब विधानसभा में राज्य की कांग्रेस सरकार ने जो प्रस्ताव पारित किया है वह असंवैधानिक है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि केंद्र और राज्यों की कानूनी तथा तकनीकी स्थिति पर सिब्बल के इस स्पष्टीकरण के बाद, पंजाब के मुख्यमंत्री संशोधित नागरिकता कानून पर जिम्मेदारी पूर्वक व्यवहार करेंगे।

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चुघ ने कहा, ‘‘संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद नागरिकता कानून में इस संशोधन को पारित किया गया है और अब कोई राज्य इससे इंकार नहीं कर सकता है। किसी भी राज्य में इसे लागू नहीं करना न केवल असंभव होगा, बल्कि असंवैधानिक भी होगा क्योंकि नागरिकता का अधिकार राज्य का विषय नहीं है।’’ भाजपा नेता ने कहा, ‘‘कोई कानून और संशोधन अगर संसद से पारित होता है तो संविधान के अनुच्छेद 254 के अंतर्गत यह सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के लिए बाध्यकारी है।’’

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