फीस लेती नहीं देती है कर्नाटक की यह टीचर, बच्चों का भविष्य बनाने के लिए हर साल करती है पैसा डिपोज़िट
छात्रों और अभिभावकों द्वारा बॉन्ड मैडम के नाम से बुलाई जाने वाली रेखा, होसानगर में अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए लगभग दो घंटे का एक रास्ता तय करती है। बता दें कि स्कूल से रेखा का घर 50 किमी की दूरी पर है। शॉर्ट स्टोरी और आर्टिकल के अलावा रेखा एक वॉयसओवर कलाकार भी है।
कर्नाटक की 32 वर्षीय रेखा कुलल जिन्होंने अपनी एजुकेशन छात्रवृत्ति के जरिए पूरी की आज वहीं कक्षा 1 के बच्चों को पढ़ाने के लिए हर एक बच्चे के अकाउंट में 1000 रूपये जमा कर रही है ताकि उन बच्चों की पढ़ाई अच्छे से पूरी हो सके। टीओआई की एक खबर के मुताबिक,दूसरों की मदद से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाली रेखा ने साल 2014 से ही इन बच्चों के अकाउंट में हर साल 1000 रुपये डालने का फैसला किया और इसे 10 साल के लिए लॉक-इन कर दिया है। रेखा का ऐसा करने का उद्देश्य केवल बच्चों की पढ़ाई पूरी करवाना है और यह सुनिश्चित करना है कि एक बार जब उनके वंचित छात्रों की दसवीं कक्षा पूरी हो जाती है, तो वह अपनी बाकी बची पढ़ाई को पूरा करने में हिचकिचाए नहीं।
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ऐसे हुई रेखा की जर्नी की शुरूआत!
सात साल पहले रेखा ने अपनी इस जर्नी की शुरूआत केवल 5 बच्चों के साथ की थी, जिसके बाद इसकी संख्या 63 हुई। अपने स्कूल के दिनों में वित्तीय कठिनाइयों से परेशान, रेखा ने अपनी शिक्षा पूरी करने और खुद को पढ़ाने के लिए एमएस नागराजा राव नाम के एक उच्च विद्यालय के शिक्षक के रूप में काम भी किया। रेखा ने टीओआई से बात करते हुए बताया कि, बैंक अकाउंट में पैसे डालना उच्च शिक्षा में छात्रों की मदद करने का एक छोटा सा तरीका है। उन्होंने कहा कि, इस पहल से समाज के कर्तव्य का निर्वाहण हो रहा है। आपको बता दें कि इस पहल को स्कूल विकास प्रबंधन समिति के सदस्यों और अध्यक्ष और विद्यालय के प्रधानाध्यापक के गणेश और अन्य कर्मचारियों द्वारा समर्थित और सराहा गया है।
छात्रों और अभिभावकों द्वारा "बॉन्ड मैडम" के नाम से बुलाई जाने वाली रेखा, होसानगर में अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए लगभग दो घंटे का एक रास्ता तय करती है। बता दें कि स्कूल से रेखा का घर 50 किमी की दूरी पर है। शॉर्ट स्टोरी और आर्टिकल के अलावा रेखा एक वॉयसओवर कलाकार भी है। रेखा ने टीओआई से कहा, "जब तक मैं सेवा में हूं, तब तक मैं छोटे लोगों के लिए बांड में निवेश करना जारी रखूंगी।"
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