अगर मोदी हठ छोड़ देते तो सैंकड़ों किसानों की शहादत नहीं होती : कंडेला खाप

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केन्द्र सरकार द्वारा विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा किए जाने पर कंडेला खाप के प्रधान ओमप्रकाश कंडेला व प्रवक्ता जगत सिंह रेढू ने कहा कि आज किसान-मजदूर की जीत हुई है और अंहकारी प्रधानमंत्री को किसानों के सामने झुकना पड़ा व मुंह की खानी पड़ी है।

जींद (हरियाणा)। केन्द्र सरकार द्वारा विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा किए जाने पर कंडेला खाप के प्रधान ओमप्रकाश कंडेला व प्रवक्ता जगत सिंह रेढू ने कहा कि आज किसान-मजदूर की जीत हुई है और अंहकारी प्रधानमंत्री को किसानों के सामने झुकना पड़ा व मुंह की खानी पड़ी है। उन्होंने कहा कि शहीद किसानों की शहादत ने हरियाणा सरकार व (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केन्द्र की) मोदी सरकार को झुकाया है। खाप के महासचिव राज सिंह कंडेला ने कहा, ‘‘जब-जब कोई भी सरकार किसान-मजदूरों से टकराई है उसे हमेशा मुंह की खानी पड़ी है। अब सरकार को चाहिए कि शहीद किसान के परिवार को नौकरी और उचित मुआवजा दे। किसान नेताओं पर केस मामलों को रद्द करे।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘यदि प्रधानमंत्री अपना हठ और अंहकार पहले ही छोड़ देते तो 700 किसान, मजदूरों की शहादत नहीं होती।’’ विवादित कृषि कानून वापस लिए जाने पर जिले में शुगर मील लंगर पर किसानों-मजदूरों ने खूब खुशियां मनाईं। इस अवसर पर शुगर मील लंगर पर किसान सभा के वरिष्ठ नेता भरत सिंह खटकड़ की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया, जिसका संचालन कपूर सिंह ने किया। किसान सभा के राज्य प्रधान फूल सिंह श्योकंद व सीटू के राज्य उपाध्यक्ष रमेश चंद्र ने कृषि कानून वापस लिए जाने पर कहा, ‘‘यह किसान-मजदूर संघर्ष की बड़ी जीत है।

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किसान आंदोलन (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी का अहंकार तोड़ने में कामयाब रहा है।’’ उन्होंने किसानों, मजदूरों से संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि जबतक संसद में संवैधानिक रूप से कानून खत्म नहीं कर दिए जाते, हमारी यह जीत अधूरी है। नेताओं ने कहा कि अभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी को लेकर आंदोलन जारी रहेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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