भारत की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए 3,500 छात्रवृत्तियां मुहैया करा रही आईसीसीआर: जयशंकर

 Jaishankar

जयशंकर ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आईसीसीआर के कार्यक्रमों में नृत्य, संगीत, रंगमंच, ललित कलाएं, योग और हिंदी, संस्कृत, तमिल और बांग्ला जैसी भाषाओं में शिक्षण शामिल हैं।

नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) देश की संस्कृति, बौद्धिक और शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हर साल 3,500 से अधिक छात्रवृत्तियां मुहैया कराती है। जयशंकर ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आईसीसीआर के कार्यक्रमों में नृत्य, संगीत, रंगमंच, ललित कलाएं, योग और हिंदी, संस्कृत, तमिल और बांग्ला जैसी भाषाओं में शिक्षण शामिल हैं। इनका मकसद बौद्धिक और शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। विदेश मंत्री ने कहा कि आईसीसीआर हर साल 3,500 से अधिक छात्रवृत्तियां प्रदान करती है और विभिन्न सम्मेलन व संगोष्ठियां तथा बौद्धिक विमर्श आयोजित करती है। 

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उन्होंने कहा कि आईसीसीआर दृश्य और प्रदर्शन कलाओं में कई तरह के आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित करती है और हर साल 150 से अधिक सांस्कृतिक दलों को विदेश भेजती है। जयशंकर ने कहा कि आईसीसीआर के 36 देशों में 38 सांस्कृतिक केंद्र हैं। इसके अलावा व्लाडोलिड (स्पेन) और बुसान (दक्षिण कोरिया) में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल में सांस्कृतिक केंद्र हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि वर्ष 2019-20 के लिए आईसीसीआर को 250 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट आवंटित किया गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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