छत्तीसगढ़: आजादी के 75 साल बाद नक्सल प्रभावित अंतागढ़ में पहुंची रेल

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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले का अंतागढ़ कस्बा आजादी के 75 साल बाद शनिवार को पहली बार रेल नेटवर्क से जुड़ा। रेल विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि 235 किलोमीटर लंबी दल्लीराजहरा-रावघाट-जगदलपुर रेल परियोजना के तहत अंतागढ़ नगर पंचायत को अब राज्य की राजधानी रायपुर से रेल सेवा से जोड़ दिया गया है।

कांकेर, 14 अगस्त। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले का अंतागढ़ कस्बा आजादी के 75 साल बाद शनिवार को पहली बार रेल नेटवर्क से जुड़ा। रेल विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि 235 किलोमीटर लंबी दल्लीराजहरा-रावघाट-जगदलपुर रेल परियोजना के तहत अंतागढ़ नगर पंचायत को अब राज्य की राजधानी रायपुर से रेल सेवा से जोड़ दिया गया है। उन्होंने बताया कि रायपुर और दुर्ग से केवटी के मार्ग पर चलाई जा रही यात्री विशेष ट्रेन का विस्तार अंतागढ़ तक किया गया है।

अधिकारी ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं कांकेर लोकसभा सीट से सांसद मोहन मंडावी ने शनिवार दोपहर अंतागढ़ रेलवे स्टेशन से यात्री ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने बताया कि इस दौरान कांग्रेस के नेता एवं अंतागढ़ विधानसभा सीट से विधायक अनूप नाग, पूर्व सांसद विक्रम उसेंडी तथा रेलवे एवं सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के अधिकारी भी मौजूद थे। अधिकारी ने बताया कि पहले दिन अंतागढ़ स्टेशन पर 144 टिकट बिके। उन्होंने बताया कि यह रेलगाड़ी रायपुर से रोजाना सुबह सुबह सवा नौ बजे रवाना होगी और दोपहर एक बजकर 25 मिनट पर अंतागढ़ पहुंचेगी।

बाद में यह अंतागढ़ से दोपहर एक बजकर 35 मिनट पर प्रस्थान करेगी और अपराह्न चार बजकर 40 मिनट पर दुर्ग पहुंचेगी। रेल विभाग के वरिष्ठ प्रचार निरीक्षक शिव प्रसाद ने बताया कि दल्लीराजहरा-रावघाट-जगदलपुर रेल परियोजना के प्रथम चरण के तहत दल्लीराजहरा से रावघाट तक 95 किलोमीटर लंबी पटरी बिछाई जा रही है, जिसके तहत अंतागढ़ तक (59 किलोमीटर) यात्री रेल सेवा शुरू हो गई है। प्रसाद ने बताया कि इससे पहले इस मार्ग पर केवटी गांव तक ट्रेन सेवा थी, जो रायपुर से 42 किलोमीटर दूर है। अंतागढ़ केवटी से 17 किलोमीटर दूर है।

अधिकारी ने कहा कि यह परियोजना छत्तीसगढ़ सरकार, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी), स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और रेलवे का एक संयुक्त उद्यम है। यह उत्तर बस्तर में आर्थिक विकास के द्वार खोलेगी। प्रसाद ने बताया कि इस रेलवे परियोजना के निर्माण से उत्तरी बस्तर में माओवादियों के गढ़ में स्थित रावघाट खदानों से लौह अयस्क के परिवहन की अनुमति मिल जाएगी और यह नक्सल प्रभावित इलाकों में लोगों के लिए परिवहन सुविधा भी सुनिश्चित करेगी।

उन्होंने बताया कि 2016 से परियोजना की सुरक्षा के लिए सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की दो बटालियन विशेष रूप से को तैनात किया गया है। अंतागढ़ में रेल परिवहन सेवा शुरू होने से वहां के निवासी खुश हैं। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई है कि इससे क्षेत्र की प्रगति होगी। गांव में इलेक्ट्रिकल की दुकान चलाने वाले नीलकंठ साहू ने कहा कि वह सप्ताह में दो बार अपने व्यवसाय के लिए यात्रा करते हैं और अब रेल सेवा शुरू होने से यह उनके लिए सुविधाजनक होगा। एक अन्य स्थानीय व्यक्ति हेमंत कश्यप ने कहा कि उन्होंने कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों से अंतागढ़ से रेलगाड़ी शुरू करने की मांग की थी। कश्यप ने कहा, यह हम सभी के लिए एक ऐतिहासिक दिन है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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