नक्सली कुंदन पाहन को राहत, गवाही के अभाव में कोर्ट ने किया बरी

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[email protected] । May 5 2019 10:42AM

मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर कौशलेन्द्र कुमार झा, बुंडू थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी सब-इंस्पेक्टर नागेश्वर रजक एवं कार्तिक उरांव की गवाही दर्ज की गयी थी। मामले के अन्य आरोपी पूर्व में ही साक्ष्य के अभाव में बरी हो चुके हैं।

रांची। झारखंड की एक अदालत ने आत्मसमर्पण करने वाले कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन के एक आपराधिक मामले में दोषी साबित नहीं होने के बाद उसे शनिवार को मामले से बरी कर दिया। अपर न्यायायुक्त एसके सिंह की अदालत ने 10 साल पुराने गैर-कानूनी जमावड़ा लगाने, सरकारी काम में बाधा डालने, पुलिस पर जानलेवा हमला करने, अवैध हथियार रखने, नक्सलवाद से जुड़े अन्य आरोपों से संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। 

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इस मामले में कई महत्वपूर्ण गवाह अदालत गवाही देने नहीं पहुंचे और जो गवाह पहुंचे वे भी घटना को साबित करने में विफल रहे। मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर कौशलेन्द्र कुमार झा, बुंडू थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी सब-इंस्पेक्टर नागेश्वर रजक एवं कार्तिक उरांव की गवाही दर्ज की गयी थी। मामले के अन्य आरोपी पूर्व में ही साक्ष्य के अभाव में बरी हो चुके हैं। कुंदन पाहन पर अभी कई अन्य आपराधिक मामले चल रहे हैं। इस कारण अभी वह जेल से बाहर नहीं आएगा। 

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गौरतलब है कि 31 जनवरी,2009 को पुलिस को सूचना मिली की बुंडू थाना क्षेत्र में बारूहातू पहाड़ पर कुख्यात नक्सली कुन्दन पाहन के दस्ते किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए जमावड़ा लगाये हुए है। पुलिस दस्ता वहां पहुंचा तो नक्सलियों ने गोलीबारी प्रारम्भ कर दी। लेकिन जब पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की तो वहां से नक्सली भाग खड़े हुए। घटना स्थल से एसएलआर के चार कारतूस समेत अन्य विस्फोटक बरामद किये गये थे। पुलिस ने कुन्दन पाहन के अलावा राम मोहन, तुलसी, सुरेश, राज किशोर, श्याम पाहन को नामजद करते हुए बुंडू थाना में प्राथमिकी दर्ज की थी। 

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