कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बागी विधायकों के इस्तीफे पर 16 जुलाई तक फैसला नहीं लेंगे स्पीकर

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[email protected] । Jul 12 2019 8:46PM

कांग्रेस ने भी अपने बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता प्रक्रिया शुरू की है। कुल मिलाकर कांग्रेस और जद(एस) के 16 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दिया है।

नयी दिल्ली/बेंगलुरु। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष के आर रमेश कुमार से कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के 10 बागी विधायकों के इस्तीफों और उनकी अयोग्यता के मसले पर अगले मंगलवार तक कोई भी निर्णय नहीं लिया जाये। वहीं मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने शुक्रवार को चौंकाने वाले घटनाक्रम में कहा कि वह सदन में विश्वास मत हासिल करना चाहेंगे। इधर कर्नाटक में राजनीतिक अस्थिरता का दौर लंबा खिंचता देख भाजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने अपने विधायकों को बेंगलुरु के पास एक रिसॉर्ट में ठहराने का फैसला किया है क्योंकि कुमारस्वामी की घोषणा के बाद उसे अपने विधायकों की ‘खरीद-फरोख्त’ का अंदेशा है। जद(एस) विधायकों को भी बेंगलुरु के पास एक रिसॉर्ट में ठहराया गया है। न्यायालय ने कल विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वह ‘‘तत्काल’’ कांग्रेस और जद(एस) के 10 बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लें लेकिन अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने बाद में कहा कि फैसले के लिये और वक्त की जरूरत है। कांग्रेस ने भी अपने बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता प्रक्रिया शुरू की है। कुल मिलाकर कांग्रेस और जद(एस) के 16 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दिया है।  

अध्यक्ष के अलावा, सत्ताधारी गठबंधन की कुल क्षमता 116 (कांग्रेस के 78, जद(एस) के 37 और बसपा का एक) है। वहीं 224 सदस्यीय विधानसभा में दो निर्दलीयों के समर्थन से भाजपा का आंकड़ा 107 तक पहुंच गया है। जबकि 224 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिये जरूरी आंकड़ा 113 है। निर्दलीय विधायकों ने सोमवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अध्यक्ष अगर 16 बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर करते हैं तो गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 100 हो जाएगी।  प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के दौरान ‘‘महत्वपूर्ण मुद्दे उठने’’ का जिक्र करते हुये कहा कि वह इस मामले में 16 जुलाई को आगे विचार करेगी और शुक्रवार की स्थिति के अनुसार तब तक यथास्थिति बनाये रखी जानी चाहिए। पीठ ने अपने आदेश में विशेष रूप से इस बात का उल्लेख किया कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार इन बागी विधायकों के त्यागपत्र और अयोग्यता के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लेंगे ताकि मामले की सुनवाई के दौरान उठाये गये व्यापक मुद्दों पर न्यायालय निर्णय कर सके। पीठ ने अपने आदेश में इस तथ्य का भी जिक्र किया है कि विधानसभा अध्यक्ष और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत बागी विधायकों द्वारा दायर याचिका की विचारणीयता का मुद्दा भी उठाया है।

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पीठ ने यह भी कहा कि बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने विधानसभा अध्यक्ष की इस दलील का प्रतिवाद किया है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों के इस्तीफे के मसले पर विचार करने से पहले उनकी अयोग्यता के मामले पर निर्णय लेना होगा। पीठ ने कहा कि इन सभी पहलुओं और हमारे समक्ष मौजूद अधूरे तथ्यों की वजह से इस मामले में आगे सुनवाई की जरूरत है। पीठ ने कहा, ‘‘सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण विषय उठने के मद्देनजर, हमारा मत है कि इस मामले में हमें मंगलवार को भी विचार करना होगा। हमारा मानना है कि आज की स्थिति के अनुसार यथास्थिति बनाये रखी जाये। न तो इस्तीफे के बारे में और न ही अयोग्यता के मुद्दे पर मंगलवार तक निर्णय किया जायेगा।’’ बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है और इसे लंबित रखने के पीछे उनकी मंशा इन विधायकों को पार्टी व्हिप का पालन करने के लिये बाध्य करना है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ने शीर्ष अदालत पहुंचने के लिये बागी विधायकों की मंशा पर सवाल किये हैं और मीडिया की मौजूदगी में उनसे कहा, ‘‘गो टु हेल।’’ रोहतगी ने कहा, ‘‘अध्यक्ष को इन इस्तीफों पर फैसला लेने के लिये एक या दो दिन का समय दिया जा सकता है और यदि वह इस अवधि में निर्णय नहीं लेते हैं तो उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस दिया जा सकता है। संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सदन में कराये गये विधायी और दूसरे कार्य न्यायालय की समीक्षा के दायरे से बाहर हैं लेकिन इस्तीफों का मामला ऐसा नहीं है। मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल किया कि क्या अध्यक्ष को शीर्ष अदालत के आदेश को चुनौती देने का अधिकार है।

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सिंघवी ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुये कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक है और बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिये पेश याचिका पर फैसला करने के लिये वह संवैधानिक रूप से बाध्य हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अध्यक्ष विधानसभा के बहुत ही वरिष्ठ सदस्य हैं। वह संवैधानिक प्रावधानों को जानते हैं। उन्हें इस तरह से बदनाम नहीं किया जा सकता। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि न्यायालय ने बागी विधायकों के इस्तीफे के मामले में विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस दिये बगैर ही ‘एकपक्षीय’ आदेश पारित किया है। धवन का कहना था कि इन विधायकों ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं लेकिन उसका पक्ष सुने बगैर ही आदेश पारित किया गया।उन्होंने कहा कि बागी विधायकों में से एक विधायक पर पोंजी योजना में संलिप्त होने का आरोप है और इसके लिये ‘‘हमारे ऊपर आरोप लगाया जा रहा है’’। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को स्वयं को इस तथ्य के बारे में संतुष्ट करना होगा कि इन विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफे दिये हैं। कर्नाटक के अपनी सरकार पर गहराते संकट के बीच मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने शुक्रवार को कहा कि वह सदन में विश्वासमत हासिल करना चाहते हैं और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार से इसके लिये समय तय करने का अनुरोध किया है। 

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विधानसभा के 11 दिवसीय सत्र के पहले दिन सदन की बैठक में मुख्यमंत्री ने सत्तारूढ़ गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफा देने की पृष्ठभूमि में यह अप्रत्याशित घोषणा की। विधायकों के इस्तीफे की वजह से सरकार का अस्तित्व खतरे में है। हालांकि, सदन में दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दिये जाने के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा यह मुद्दा उठाये जाने पर विपक्षी भाजपा ने इसकी आलोचना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने ‘‘स्वेच्छा’’ से विश्वासमत हासिल करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसा अवसर है कि मुझे कहना ही होगा कि मैं तभी मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकता हूं जब मुझे सदन का विश्वास हासिल हो। इस पृष्ठभूमि में मैं इस स्थान पर बैठकर अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहता।’’ विधानसभा अध्यक्ष ने कहा,‘‘मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह भ्रम की स्थिति में कुर्सी से चिपके नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा है कि वह सदन में विश्वास मत हासिल करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब भी वह (कुमारस्वामी) मुझसे कहेंगे कि वह विश्वास मत का प्रस्ताव पेश करना चाहते हैं, मैं इसे दिन के कामकाज में शामिल करूंगा।’’ इस बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी प्रस्तावित विश्वास मत पर कुमारस्वामी के भाषण के आधार पर अपनी रणनीति तय करेगी। उन्होंने कहा, “एक मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने एक बयान दिया है, मैं उससे इनकार कैसे कर सकता हूं। यह उनपर छोड़ा जाता है। मुख्यमंत्री विश्वास मत हासिल करने के दौरान क्या कहते हैं उसके आधार पर हम फैसला लेंगे।”

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