भारत ने सीमापार से होने वाले आतंकवाद को सबकी नजरों के सामने रखा: एस जयशंकर

S Jaishankar

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि 9/11 हमले के बाद आतंकवाद ‘मेरी समस्या नहीं है’ का युग समाप्त हो गया, लेकिन अभी भी इस संबंध में पूरे मन से अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रयास होना बाकी है।

हैदराबाद। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि सीमापार से आतंकवाद को झेल रहे भारत ने उसे सभी के सामने लाने के लिए अथक परिश्रम किया है और धीरे-धीरे दुनिया भी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की वैश्विक प्रकृति को समझने लगी है। पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि भौगोलिक रूप से भारत के निकटतम पड़ोसियों में से एक देश सरकार प्रायोजित सीमापार आतंकवाद में शामिल है। उन्होंने कहा कि 9/11 हमले के बाद आतंकवाद ‘मेरी समस्या नहीं है’ का युग समाप्त हो गया, लेकिन अभी भी इस संबंध में पूरे मन से अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रयास होना बाकी है। 

इसे भी पढ़ें: विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले- शक्ति का नया संतुलन उभरने के लिए तैयार है 

यहां इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) में आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारे निकटतम पड़ोस में ही सीमापार से होने वाले सरकार प्रायोजित आतंकवाद का सटीक उदाहरण मौजूद है। दुनिया धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की वैश्विक प्रकृति को समझने लगी है।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे अथक प्रयासों के कारण हमने आतंकवाद के वित्त पोषण, कट्टरता और साइबर भर्ती आदि पहलुओं की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए इसे सबकी नजर में रखा है। लक्ष्य अभी भी इस विषय पर समेकित समन्वय बनाने का है। ऐसा होने तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।’’

वंदे भारत मिशन के संबंध में उन्होंने कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भारत ने विदेशों से अपने 24 लाख से ज्यादा नागरिकों की वापसी कराई। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भारत ने एक लाख से ज्यादा विदेशी नागरिकों को उनके घर भी वापस भेजा है। जयशंकर ने कहा, ‘‘हवाई, सड़क और जल मार्ग से 24 लाख से ज्यादा भारतीयों को वापस लाया गया। हमने एअर इंडिया से लेकर भारतीय नौसेना तक अपने सभी संसाधनों को इस काम में लगाया।’’ उन्होंने कहा,‘‘हमारी मंशा एकदम स्पष्ट थी, आज का भारत किसी भी भारतीय को तकलीफ में विदेश में नहीं छोड़ेगा।’’ 

इसे भी पढ़ें: विदेश मंत्री जयशंकर बोले, अंतरराष्ट्रीय संबंधों का आधार सहयोग होना चाहिए, प्रतिस्पर्धा नहीं 

उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार हम ऐसी अनोखी अर्थव्यवस्था हैं जो बहुत हद तक लोगों की आवाजाही और दूसरे जगह जाकर काम करने पर आधारित है। हमारी साख घर की तरक्की में योगदान देने के लिए विदेशों में काम कर रहे लोगों को दिए जाने वाले आश्वासन पर निर्भर है।’’ जयशंकर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान हमने कई सबक सीखे हैं और आने वाले दिनों में वो व्यवहार में दिखेंगे भी। उन्होंने कहा कि फिलहाल देश का ध्यान अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने पर है और सितंबर, अक्टूबर के आंकड़े वाकई उत्साहित करने वाले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि दुनियाभर में ज्यादा लचीली आपूर्ति प्रणाली की जरुरत महसूस की जा रही है और भारत विनिर्माण/उत्पादन के लिए बेहतर वातावरण तैयार करके विकास को तेजी से आगे बढ़ा सकता है। कोविड-19 के बाद मेडिकल उपकरणों के क्षेत्र में भारत की क्षमता के बारे में बताते हुए जयशंकर ने कहा कि देश में फिलहाल महामारी के लिए 15,000 समर्पित अस्पताल हैं जिनमें 15 लाख आइसोलेशन बिस्तर उपलब्ध हैं। देश की 7,000 से ज्यादा प्रयोगशालाओं में 10 लाख से ज्यादा लोगों की कोविड-19 की जांच हो रही है। उन्होंने विचार रखा कि फिलहाल चुनौती संकट की इस स्थिति से उबरने की है। उन्होंने कहा कि दुनिया में अब पहले जैसा कामकाज नहीं होगा, क्योंकि बदलाव शुरू हो गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़