खुशखबरी ! मानसून के सामान्य रहने की संभावना, देशभर में होगी बारिश
आईएमडी के अनुसार, इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान 1971-2020 की अवधि के 87 सेंटीमीटर दीर्घावधि औसत (एलपीए) के मुकाबले 96 से 104 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। पहले आईएमडी मानसूनी वर्षा का अनुमान लगाने के लिए 1961-2010 के बीच के 88 सेंटीमीटर लोंग पीरीयड एवरेज (दीर्घावधि औसत) पर विचार करता था।
नयी दिल्ली। जून-सितंबर अवधि के दौरान अनुकूल ‘ला नीना’ स्थिति बने रहने के अनुमान के साथ ही देश में इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। देश में 2019, 2020 और 2021 में चार महीने के दक्षिण पश्चिम मानसून में सामान्य वर्षा हुई थी। आईएमडी के अनुसार, इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान 1971-2020 की अवधि के 87 सेंटीमीटर दीर्घावधि औसत (एलपीए) के मुकाबले 96 से 104 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। पहले आईएमडी मानसूनी वर्षा का अनुमान लगाने के लिए 1961-2010 के बीच के 88 सेंटीमीटर लोंग पीरीयड एवरेज (दीर्घावधि औसत) पर विचार करता था। विभाग ने कहा कि मात्रात्मक दृष्टि से जून से सितंबर तक मानसूनी वर्षा एलपीए का 99 फीसद रह सकती है जिसमें पांच फीसद के उतार-चढ़ाव की संभावना है।
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मौसम विभाग का अनुमान है कि ‘सामान्य वर्षा’ की 40 फीसद, सामान्य से अधिक वर्षा (एलपीए के 104 से 110 फीसद तक) की 15 फीसद तथा ‘अत्यधिक वर्षा’ (एलपीए के 110 फीसद से अधिक) की पांच फीसद संभावना है। आईएमडी का कहना है कि ‘सामान्य से कम वर्षा’ (एलपीए का 90 से 96 फीसद) की 26 फीसद तथा ‘कम वर्षा ’ (एलपीए के 90 फीसद से कम वर्षा) की 14 फीसद आशंका है। विभाग ने कहा कि प्रायद्वीपीय भारत के उत्तरी भाग, मध्य भारत, हिमालय की तलहटी और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।
उसने बताया कि पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों, उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों और दक्षिणी प्रायद्वीप के दक्षिणी हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। आईएमडी मई के अंत में मानसून के मौसम के लिए एक अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा। मौसम विभाग ने कहा कि भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में ‘ला नीना’ की स्थिति के मानसून के दौरान जारी रहने की संभावना है। साथ ही, हिंद महासागर के ऊपर बनी तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) की स्थिति दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम की शुरुआत तक ऐसे ही रहने की संभावना है। इसके बाद आईओडी की स्थिति नकारात्मक हो सकती है।
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‘अल नीनो-दक्षिणी दोलन‘ (ईएनएसओ) उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत महासागर के ऊपर हवा और समुद्र की सतह के तापमान में परिवर्तन का एक अनियमित चक्र है, जो अधिकांश उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु को प्रभावित करता है। समुद्र के तापमान के गर्म होने के चरण को ‘अल नीनो’ और ठंडा होने को ‘ला नीना’ कहा जाता है। आम तौर पर समझा जाता है कि अल नीनो भारत में मानसूनी वर्षा को दबाता है जबकि ला नीनो उसे बढ़ाता है। आईओडी के तीन चरण तटस्थ, नकारात्मक और सकारात्मक हैं। सकारात्मक स्थिति मानसून के लिए फायदेमंद होती है और नकारात्मक आईओडी स्थिति देश में मानसून को बाधित करती है।
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