भारत को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वह सब करते रहना होगा जो उसे करना चाहिए :रमेश

Jairam Ramesh
ANI

राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में अमेरिका फिर से इस समझौते में शामिल हो गया था। उन्होंने कहा था कि अगर अमेरिका को फिर इससे हटना है, तो यह विनाशकारी होगा।

पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के प्रति अमेरिकी रवैये से परे भारत को जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी कई कमजोरियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए वह सब करते रहना होगा जो उसे करना चाहिए।

कांग्रेस महासचिव ने ‘एक्स’ पर जलवायु परिवर्तन के लिए पूर्व अमेरिकी राजनयिक टॉड स्टर्न द्वारा लिखी गई पुस्तक के कवर का स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसका शीर्षक है-‘‘लैंडिंग द पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट।’’

रमेश ने ‘एक्स’ पर अपने एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह विडंबना है कि 2015 का पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता कैसे हुआ, इसके बारे में एक अमेरिकी अंदरूनी सूत्र का उत्कृष्ट विवरण उसी समय प्रकाशित हुआ है जब राष्ट्रपति ट्रंप का आने वाला प्रशासन दूसरी बार इससे हटने के लिए तैयार है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, अमेरिका का दृष्टिकोण जो भी हो, भारत को जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी कई कमजोरियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए वह सब करते रहना होगा - जिसका पहले से ही गहरा आर्थिक, सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है।’’

पूर्व पर्यावरण मंत्री ने कहा कि पहले से सक्रिय रहना भारत के हित में है। रमेश ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप की वापसी ने जलवायु परिवर्तन पर 2015 के पेरिस समझौते का भविष्य ‘बेहद अस्थिर’ बना दिया है, राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में अमेरिका फिर से इस समझौते में शामिल हो गया था। उन्होंने कहा था कि अगर अमेरिका को फिर इससे हटना है, तो यह विनाशकारी होगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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