अल्पसंख्यकों को निशाना बनाये जाने वाले अमेरिकी रिपोर्ट को भारत ने किया खारिज
भाजपा के मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख अनिल बलूनी ने एक बयान में कहा था कि , ‘‘ 2018 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट मोदी सरकार और भाजपा के प्रति पूर्वाग्रह से प्रेरित है। इस रिपोर्ट की मूल अवधारणा है कि यहां अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा के पीछे कोई षडयंत्र है, सरासर झूठ है।
नयी दिल्ली। भारत ने अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से जारी उस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है जिसमें अल्पसंख्यकों को निशाना बनाये जाने की बात कही गई थी। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी विदेशी संस्था या सरकार को संविधान प्रदत्त अधिकारों से संरक्षित हमारे नागरिकों को लेकर कोई घोषणा करने का अधिकार नहीं है। इस रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत को विदेशी रिपोर्ट में कोई सच्चाई नहीं दिखती है । ‘‘ भारत को अपनी धर्मनिरपेक्षता पर गर्व है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक और बहुलतावादी समाज वाला देश है जो लंबे समय से सहिष्णुता और समावेश के लिए प्रतिबद्ध है। भारत का संविधान सभी नागरिकों को उनके मूलभूत अधिकारों की गारंटी देता है, जिसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं।’’
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उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से सर्वविदित है कि भारत एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है जिसका संविधान सभी को धार्मिक स्वतंत्रता का संरक्षण देता है, और लोकतांत्रिक सरकार धार्मिक गतिविधियों को संरक्षण और बढ़ावा देती है। कुमार ने कहा, ‘‘हम किसी भी विदेशी संस्था या सरकार को यह अधिकार नहीं देते हैं कि संवैधानिक रूप से मिले अधिकारों से संरक्षित हमारे नागरिकों को लेकर कोई घोषणा करे। ’’ गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम पर एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।
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MEA: The Indian Constitution guarantees fundamental rights to all its citizens, including its minority communities. We see no locus standi for a foreign entity to pronounce on the state of our citizens’ constitutionally protected rights. 2/2 https://t.co/HXb24xCY5R
— ANI (@ANI) June 23, 2019
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