भारत की सुरक्षा, सामरिक चिंताओं के प्रति हमेशा संवेदनशील रहेंगे: मालदीव
दोनों विदेश मंत्री हिंद महासागर क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा बरकरार रखने के महत्व तथा क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में सहयोग को मजबूती प्रदान करने पर सहमत हुए।
माले। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ अपने शीर्ष नेताओं की बातचीत के बीच मालदीव ने अपनी ‘‘भारत-पहले नीति’’ दोहराते हुए सोमवार को कहा कि वह सभी मुद्दों पर भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक है और वह देश की सुरक्षा एवं सामरिक चिंताओं के प्रति संवेदनशील बना रहेगा। मालदीव के नेताओं ने आतंकवाद, विशेषकर सीमा पार आतंकवाद और समुद्री डकैती, संगठित अपराध, नशीले पदार्थों की तस्करी एवं मानव तस्करी जैसे अपराधों से खिलाफ भारत के प्रयासों का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। सुषमा स्वराज अपनी दो दिवसीय यात्रा के तहत रविवार को मालदीव पहुंचीं। मालदीव में पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सोलिह की सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत की ओर से द्वीपीय देश की यह पहली पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा है। हिंद महासागर में स्थित मालदीव भारत के लिये सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने राष्ट्रपति सोलिह, विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद, पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात की।
#IndiaMaldives
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) March 18, 2019
Highlights of the visit of EAM @SushmaSwaraj to Maldives pic.twitter.com/GkpEKIGCSZ
विदेश मंत्री और सोलिह ने दिसंबर 2018 में अपनी भारत यात्रा के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति का जायजा लिया। सुषमा ने रविवार को मालदीव में अपने समकक्ष अब्दुल्ला शाहिद के साथ बातचीत की और द्विपक्षीय संबंधों के तमाम पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने बीते तीन महीने में दोनों देशों के बीच कई बार हुई उच्च स्तरीय आदान-प्रदान का उल्लेख किया। उन्होंने पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा और दिसंबर में भारत की अपनी यात्रा को याद किया। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय बातचीत के बाद एक संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक हुई जिसमें सुषमा ने शाहिद, रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी, वित्त मंत्री इब्राहीम अमीर एवं अन्य मंत्रियों से चर्चा की। उन्होंने मालदीव के गृह मंत्री इमरान अब्दुल्ला से भी मुलाकात की और द्विपक्षी संबंधों को लगातार आगे बढ़ाने की दिशा में उठाये जाने वाले कदमों पर चर्चा की। एक संयुक्त बयान के अनुसार, ‘‘विदेश मंत्री शाहिद ने अपनी सरकार की ‘‘भारत-पहले नीति’’ दोहराई और कहा कि उनकी सरकार सभी मुद्दों पर भारत के साथ काम करने की दिशा में आशान्वित है। उन्होंने यह भी कहा कि मालदीव भारत की सुरक्षा और सामरिक चिंताओं के प्रति संवेदनशील बना रहेगा। भारत की नौवहन सुरक्षा के लिहाज से मालदीव एक अहम देश है और पिछले कुछ वर्ष में देश में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को लेकर भारत में चिंताएं हैं।
इसे भी पढ़ें: कांग्रेस को भरोसा, पंजाब में सभी 13 सीटें जीतेगी पार्टी
दोनों विदेश मंत्री हिंद महासागर क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा बरकरार रखने के महत्व तथा क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में सहयोग को मजबूती प्रदान करने पर सहमत हुए। शाहिद ने आतंकवाद विशेषकर सीमा पार आतंकवाद और पाइरेसी, संगठित अपराध, नशीले पदार्थों की तस्करी एवं मानव तस्करी जैसे अपराधों के खिलाफ भारत के प्रयासों का समर्थन किया। उन्होंने वैश्विक चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण कारक के तौर पर एक प्रभावी बहुपक्षीय प्रणाली के महत्व को दोहराया और संयुक्त राष्ट्र महासभा एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) समेत संयुक्त राष्ट्र की मुख्य संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता पर सहमति जतायी। यूएनएससी में सुधार तथा इसके विस्तारित रूप में बतौर स्थायी सदस्य भारत की उम्मीदवारी का मालदीव ने समर्थन किया। मालदीव ने 2020-21 के लिये गैर-स्थायी सदस्य के तौर पर भारत की उम्मीदवारी का भी समर्थन किया। दोनों पक्षों ने राजनयिक एवं आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिये वीजा की आवश्यकता से छूट सहित तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किया। इसके अलावा स्थानीय निकायों के माध्यम से उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिये भारतीय अनुदान की मंजूरी से संबंधित एक समझौता ज्ञापन और ऊर्जा क्षमता एवं अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को लेकर एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए। शाहिद ने इंदिरा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल (आईजीएमएच) के पुनरूद्धार में भारत के सहयोग के लिये उसका शुक्रिया अदा किया। भारत की सहायता से निर्मित यह अस्पताल दोनों देशों के बीच मित्रता का स्थायी प्रतीक है। आईजीएमएच मालदीव में पहला और सबसे बड़ा अस्पताल है।
अन्य न्यूज़