भारत, उज्बेकिस्तान का संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का संकल्प, 17 समझौते किये

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[email protected] । Oct 1 2018 7:31PM

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्ज़ियोयेव के बीच सुरक्षा, शान्ति, समृद्धि और सहयोग संबंधी क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों समेत आपसी सहयोग एवं साझा हितों से जुड़े विविध विषयों पर सार्थक विचार-विमर्श हुआ।

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत एवं उज्बेकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचाने तथा सामरिक संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने का संकल्प व्यक्त किया । दोनों देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा, पर्यटन, फार्मा, स्वास्थ्य समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के 17 समझौते पर भी हस्ताक्षर किये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्ज़ियोयेव के बीच सुरक्षा, शान्ति, समृद्धि और सहयोग संबंधी क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों समेत आपसी सहयोग एवं साझा हितों से जुड़े विविध विषयों पर सार्थक विचार-विमर्श हुआ।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा, ‘‘ हमने इन मुद्दों पर और शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) समेत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर, हमारे सहयोग को और अधिक गहरा बनाने का निर्णय लिया है।’’ उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति के साथ अपनी वार्ता को उपयोगी और सार्थक करार देते हुए मोदी ने कहा कि उज़्बेकिस्तान की प्राथमिकताओं के अनुसार, भारत उनके प्रयासों में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और मौजूदा सहयोग को नए क्षेत्रों में बढ़ाने के लिए आज खासतौर पर चर्चा की गई। मोदी ने कहा कि स्थिर, लोकतांत्रिक और समावेशी एवं समृद्ध अफ़ग़ानिस्तान पूरे क्षेत्र के हित में है। उन्हें खुशी है कि इस संदर्भ में दोनों देशों के बीच नियमित रूप से सम्पर्क बनाए रखने का निर्णय लिया गया है। 

संयुक्त बयान में कहा गया है कि, ‘‘ दोनों पक्ष अफगानिस्तान में टिकाऊ शांति एवं सुरक्षा के लिये आतंकवाद के सभी स्वरूपों का बिना भेदभाव के मुकाबला करने का विचार साझा करते हैं । वे उस देश में पुनर्निमाण एवं पुनर्जीवन कार्य में सहयोग जारी रखने का विचार व्यक्त करते हैं । दोनों पक्षों ने इस बारे में नियमित वार्ता करने पर सहमति व्यक्त की।’’ उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्ज़ियोयेव ने कहा कि दोनों देशों का यह साझा विचार है कि अफगानिस्तान में समस्या का कोई सैन्य समाधान नहीं है और शांति की स्थापना के लिये अफगानिस्तान की सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक वार्ता की एकमात्र रास्ता है।

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘ हम व्यापार और निवेश के रिश्तों को बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। हमने 2020 तक एक अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रखा है। हमने तरजीही कारोबार समझौते पर वार्ता शुरू करने का भी निर्णय लिया है।’’ उन्होंने कहा कि उज़्बेकिस्तान के प्रस्ताव पर भारत ने वहां के सामाजिक क्षेत्रों में कम लागत के घरों और ऐसे और भी सामाजिक क्षेत्र की आधाारभूत ढांचे की परियोजनाओं के लिए 20 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष, मानव संसाधन विकास और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में उज़्बेकिस्तान के हित के लिए हमने भारत के अनुभव से लाभ उठाने का प्रस्ताव रखा है। 

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ भारत और उज़्बेकिस्तान के राज्यों के बीच बढ़ते सहयोग का हम स्वागत करते हैं। आज आगरा और समरकंद के बीच समझौते और गुजरात तथा उज़्बेकिस्तान के अंदिजन के बीच समझौते हुए हैं।’’ दोनों देशों के बीच शिष्टमंडल स्तर की वार्ता में भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच सम्पर्क में वृद्धि करने के रास्तों पर विचार किया गया है। इसमें व्यापार और सम्पर्क के लिए चाबहार बंदरगाह को एक महत्वपूर्ण कड़ी बताया गया है। मोदी ने कहा कि भारत अश्गाबात समझौते का फरवरी 2018 में सदस्य बना है। इसमें समर्थन के लिए वे उज़्बेकिस्तान के आभारी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमे ख़ुशी हैं कि उज़्बेकिस्तान अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कॉरिडोर में शामिल होने पर सहमत हुआ है।’’ बहरहाल, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ हमने नये परिवहन कारिडोर का विकास करने के आयामों पर करीबी सहयोग पर सहमति व्यक्त की।’’ वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और उज़्बेकिस्तान ने ऐतिहासिक संबंधों को और अधिक गहरा बनाने तथा अपने सामरिक गठजोड़ को और मज़बूत बनाने की अपनी दृष्टि एवं योजनाओं को साझा किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे पुराने मैत्रिपूर्ण रिश्तों को आज के सन्दर्भ में और भी समृद्ध करने के लिए हमने दीर्घकालिक मूल्यांकन किया है।’’ दोनों देशों ने सांस्कृतिक और लोगों के बीच सम्पर्क को संबंधों का आधार स्तंभ बताया और ई वीजा, पर्यटन, अकादमिक आदान प्रदान तथा वायु सम्पर्क इत्यादि विषयों पर सहयोग पर चर्चा की है।

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