सेना में समलैंगिक यौन संबंध और व्यभिचार को नहीं देंगे अनुमति: बिपिन रावत
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि सेना में समलैंगिक यौन संबंध और व्यभिचार को अनुमति देना संभव नहीं होगा। उन्होंने व्यभिचार पर कहा कि सेना रूढिवादी है।
नयी दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय सेना में समलैंगिक यौन संबंधों और व्यभिचार की अनुमति नहीं दी जाएगी। सेना प्रमुख ने यह बयान उच्चतम न्यायालय द्वारा वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने तथा ब्रिटिश कालीन व्यभिचार संबंधी एक कानूनी प्रावधान को निरस्त करने के कुछ महीने बाद दिया है। उच्चतम न्यायालय के दो ऐतिहासिक फैसलों के असर से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए जनरल रावत ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘सेना में, यह स्वीकार्य नहीं है।’
सेना प्रमुख ने कहा कि उनका बल कानून से ऊपर नहीं है लेकिन सेना में समलैंगिक यौन संबंध और व्यभिचार को अनुमति देना संभव नहीं होगा। उन्होंने व्यभिचार पर कहा, ‘सेना रूढिवादी है। सेना एक परिवार है। हम इसे सेना में होने नहीं दे सकते।’ उन्होंने कहा कि सीमाओं पर तैनात सैनिकों और अधिकारियों को उनके परिवार के बारे में चितिंत नहीं होने दिया जा सकता। सेना के जवानों का आचरण सेना अधिनियम से संचालित होता है।
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जनरल रावत ने कहा, ‘सेना में हमें कभी नहीं लगा कि यह हो सकता है। जो कुछ भी लगता था उसे सेना अधिनियम में डाला गया। जब सेना अधिनियम बना तो इसके बारे में सुना भी नहीं था। हमने कभी नहीं सोचा था कि यह होने वाला है। हम इसे कभी अनुमति नहीं देते। इसलिए इसे सेना अधिनियम में नहीं डाला गया।’ उन्होंने कहा कि लगता है कि जो कहा जा रहा है या जिस बारे में बात हो रही है उसे भारतीय सेना में होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
हालांकि जनरल रावत ने साथ ही कहा कि सेना कानून से ऊपर नहीं है और उच्चतम न्यायालय देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था है। दरअसल, सेना व्यभिचार के मामलों से जूझ रही है और आरोपियों को अक्सर कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ता है। सेना की भाषा में व्यभिचार को ‘साथी अधिकारी की पत्नी का स्नेह पाना’ के रूप में परिभाषित किया गया है। सेना प्रमुख ने 15 जनवरी को सेना दिवस से पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम देश के कानून से परे नहीं हैं लेकिन जब आप भारतीय सेना में शामिल होते हैं तो आपके पास जो अधिकार हैं वे हमारे पास नहीं होते हैं। कुछ चीजों में अंतर है।’
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गौरतलब है कि बीते सितंबर में उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एकमत से वयस्कों के बीच आपसी सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध घोषित करने वाली भादंसं की धारा 377 को निरस्त किया था। अदालत ने कहा था कि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है। पिछले साल उच्चतम न्यायालय ने व्यभिचार संबंधी ब्रिटिश कालीन कानूनी प्रावधान को निरस्त करते हुए कहा था कि यह असंवैधानिक है और महिलाओं को ‘‘पतियों की संपत्ति’’ मानता है।
#WATCH Army Chief General Bipin Rawat holds annual press conference in Delhi https://t.co/mdXiZZYCth
— ANI (@ANI) January 10, 2019
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