भारतीय थलसेना ने देश में बनी राइफलों को खारिज किया
भारतीय थलसेना ने खराब गुणवत्ता और गोलियां दागने की बेहद कमजोर क्षमता का हवाला देते हुए देश में ही निर्मित राइफलों को खारिज कर दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
भारतीय थलसेना ने खराब गुणवत्ता और गोलियां दागने की बेहद कमजोर क्षमता का हवाला देते हुए देश में ही निर्मित राइफलों को खारिज कर दिया है। 'इनसास' राइफलों की जगह ऐसे ही हथियारों की खरीद पर थलसेना जल्द ही फैसला ले सकती है। राइफल फैक्ट्री इशापुर की ओर से बनायी गयी 7–62.51 मिमी की बंदूकें पिछले हफ्ते हुए फायरिंग परीक्षण में बुरी तरह असफल साबित हुई थीं, जिसके बाद थलसेना ने इन राइफलों को खारिज करने का फैसला किया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन बंदूकों में 'अत्यधिक खामियां' थीं और थलसेना द्वारा इसे इस्तेमाल में तभी लाया जा सकता था जब इसके 'मैगजीन की पूरी डिजाइनिंग फिर से की जाती।' सूत्रों ने बताया कि परीक्षण के दौरान राइफलों में 'ज्यादा चमक और आवाज' देखी गयी। उन्होंने कहा कि हथियारों की विश्वसनीयता के पहलू के गहन विश्लेषण की जरूरत है। थलसेना ने पिछले साल भी भारत में निर्मित 5–56 मिमी के एक्सकैलिबर बंदूकें स्वीकार करने से मना कर दिया था। थलसेना ने दलील दी थी कि ये राइफलें उसकी कसौटी पर खरी नहीं उतरतीं। सशस्त्र बलों के लिए राइफलों की खरीद पर फैसला करने के लिए आज एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलायी जा रही है। बैठक में थलसेना की विशिष्ट जरूरतों पर चर्चा की जा सकती है। इस बैठक में रक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों के अलावा थलसेना, वायुसेना और नौसेना के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे।
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