मनमोहन सिंह को प्रदान किया गया इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार

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[email protected] । Nov 19 2018 8:04PM

उन्होंने कहा कि सिंह को प्रधानमंत्री के तौर पर चयन एक बेहतरीन फैसला था और यह इस मायने में भी महत्वपूर्ण था कि उस समुदाय का व्यक्ति प्रधानमंत्री बना था जिसकी आबादी भारत में एक फीसदी है।

नयी दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सोमवार को इंदिरा गांधी पुरस्कार प्रदान किया गया। पूर्व प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने सिंह को यह पुरस्कार (2017 के लिए) प्रदान किया। यह पुरस्कार इंदिरा गांधी स्मृति न्यास द्वारा ‘शांति, निरस्त्रीकरण एवं विकास’ के लिए काम करने वाले व्यक्तियों, समूहों एवं संस्थाओं को दिया जाता है। इस मौके पर न्यास की प्रमुख और कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि सिंह ने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मनमोहन सिंह जिन बुलंदियों पर पहुंचे उसकी बुनियाद इंदिरा गांधी के समय पड़ी थी।’’ न्यायमूर्ति (सेवानिवत्ति) ठाकुर ने कहा कि मनमोहन सिंह की बड़ी खूबी यह है कि वह लोगों की सुनते हैं और यहां तक अपने विरोधियों की भी सुनते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अगर मनमोहन सिंह न्यायाधीश होते तो मुझसे बेहतर न्यायाधीश होते।’’

उन्होंने कहा कि सिंह को प्रधानमंत्री के तौर पर चयन एक बेहतरीन फैसला था और यह इस मायने में भी महत्वपूर्ण था कि उस समुदाय का व्यक्ति प्रधानमंत्री बना था जिसकी आबादी भारत में एक फीसदी है। पुरस्कार ग्रहण करने के बाद सिंह ने कहा कि किसी भी समाज को सफल होने के लिए विविधता को अपनाना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा समय में दुनिया के सामने कई चुनौतियां हैं उनसे निपटने के लिए वैश्विक जिम्मेदारी की जरूरत है। सहयोग की जरूरत है। 

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम इतिहास के उस मोड़ पर है जहां वैश्विक शासन के सभी संस्थाओं को मजबूत बनाने की सख्त जरूरत है ताकि बहुपक्षवाद को बढ़ावा दिया जा सके और उन वैश्विक चुनौतियों से निपटा जा सके जिसने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा पैदा किया है। हमें अंतरराष्ट्रीयवाद की भावना को फिर से जीवित करने में अग्रणी भूमिका निभानी होगी।’’।

उन्होंने दुनिया के कई हिस्सों में ‘तुच्छ राष्ट्रवाद’ के ताकतवर होने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘भविष्य उसी का होगा जो विविधता को संभाल सकेगा और उदार सोच रखेगा। ये भारत की खूबी रही है कि वह विविधता का जश्न मनाता आया है। भारत के संविधान निर्माताओं ने भी विविधता को महत्व दिया।’’

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