हिंद प्रशांत को मुक्त, स्वतंत्र और समग्र क्षेत्र होना चाहिए: सुषमा स्वराज
भारत ने आज कहा कि हिंद प्रशांत को ‘‘स्वतंत्र, मुक्त और समग्र’’ क्षेत्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संरक्षणवाद का खात्मा और बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिद्वंद्विता से बचना जरूरी है।
नयी दिल्ली। भारत ने आज कहा कि हिंद प्रशांत को ‘‘स्वतंत्र, मुक्त और समग्र’’ क्षेत्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संरक्षणवाद का खात्मा और बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिद्वंद्विता से बचना जरूरी है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आसियान देशों के दस प्रतिनिधिमंडल प्रमुखों की मौजूदगी में आज ‘दिल्ली वार्ता’ को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सामान्य, नियम आधारित व्यवस्था का पालन होना चाहिए जिसमें सभी के लिए समानता हो चाहे उस देश का आकार या ताकत कुछ भी हो। उनका बयान इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व के बीच आया है।
सुषमा स्वराज ने कहा, ‘‘हिंद प्रशांत का हमारा दृष्टिकोण न केवल भौतिक रूप से आंतरिक संपर्क से जुड़ा है बल्कि परस्पर सम्मान के साथ विश्वास बनाना, संप्रभुता को सम्मान देना और क्षेत्रीय अखंडता, विचार-विमर्श, पारदर्शिता, वहनीयता और निरंतरता से जुड़ा है।’’ उन्होंने कहा कि संरक्षणवाद को खत्म करना और बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिद्वंद्विता से बचना काफी आवश्यक है।
सुषमा ने वार्ता के दसवें संस्करण में कहा, ‘‘हिंद प्रशांत मुक्त , स्वतंत्र और समग्र क्षेत्र होना चाहिए। हमें सामान्य , नियम आधारित व्यवस्था का पालन करना चाहिए जिसमें सभी के लिए समानता हो। इसे समुद्र और हवा में साझा स्थानों के इस्तेमाल की अनुमति भी देनी चाहिए।’’ इस वार्ता का विषय ‘आसियान - भारत समुद्री सहयोग को मजबूत करना’ था। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) में थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपिंस, सिंगापुर, म्यांमार, कम्बोडिया, लाओस और ब्रूनेई शामिल हैं।
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