तत्कालीन राजनेताओं के कारण कश्मीर के साथ हुआ अन्याय: कृष्ण गोपाल
कृष्णगोपाल ने कहा कि विचार, विकास व संस्कृति को मिलाकर जो बनता है वह भारत है। राजनीति का कर्तव्य है कि देश की परम्पराओं को सुरक्षित व संवर्धित रखे। उन्होंने कहा कि लंबी पराधीनता सहने के कारण हमारे मन में विदेशी परिवेश बैठ गया है, लेकिन हमें विदेशी भाव को मन से निकालकर भारत का दर्शन अपनाना होगा। हमारा सांस्कृतिक परिवेश ही हमारी पहचान है। हम स्वतंत्र हैं, हमें विदेशी संस्कारों व विचारों का पूरी तरह से परित्याग करना ही होगा।
जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने बुधवार को कहा कि उस समय के राजनेताओं के कारण कश्मीर के साथ अन्याय हुआ। धानक्या में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ विचारक दीनदयाल उपाध्याय के 103वें जन्म जयंती समारोह पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुएडॉ. कृष्णगोपाल ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों पर अत्याचार हुए,कश्मीर में दो झंडे, अलग से संविधान लागू हुआ और जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ अन्याय हुआ। उन्होंने कहा कि उपाध्याय ने कश्मीर के लिये आंदोलन किया, एक देश में दो निशान, दो विधान व दो प्रधान नहीं चलाने के विरोध में श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने बलिदान तक दिया। पिछले दिनों इसका निराकरण हो गया है।
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उन्होंने कहा कि विचार, विकास व संस्कृति को मिलाकर जो बनता है वह भारत है। राजनीति का कर्तव्य है कि देश की परम्पराओं को सुरक्षित व संवर्धित रखे। उन्होंने कहा कि लंबी पराधीनता सहने के कारण हमारे मन में विदेशी परिवेश बैठ गया है, लेकिन हमें विदेशी भाव को मन से निकालकर भारत का दर्शन अपनाना होगा। हमारा सांस्कृतिक परिवेश ही हमारी पहचान है। हम स्वतंत्र हैं, हमें विदेशी संस्कारों व विचारों का पूरी तरह से परित्याग करना ही होगा।
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