नवाचारों से आम जनता को त्वरित न्याय दिलाने में मिली मदद: अशोक गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि महिला अपराधों के विरूद्ध विशेष अन्वेषण इकाई के गठन से दुष्कर्म के मामलों की तफ्तीश में लगने वाला औसत समय 267 दिनों से घटकर 118 दिन रह गया है।
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि पुलिस ढांचे में नवाचारों से आम जनता को त्वरित न्याय दिलाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि राज्य में दुष्कर्म के मामलों की जांच में लगने वाला औसत समय 267 दिनों से घटकर 118 दिन हो गया है। गहलोत राज्य में कानून-व्यवस्था व अपराध नियंत्रण से जुड़े मुद्दों की समीक्षा कर रहे थे। थानों में महिला हेल्प डेस्क, स्वागत कक्ष निर्माण, छात्रा आत्मरक्षा कौशल योजना, मुकदमों के त्वरित निस्तारण, थानों में आवश्यक रूप से प्राथमिकी दर्ज करने की व्यवस्था, राजकॉप सिटीजन ऐप, कमांड व कंट्रोल सेन्टर की स्थापना जैसे नवाचारों का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा कि इनसे राज्य में आमजन को त्वरित न्याय मिलने में मदद मिली है।
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उन्होंने कहा कि महिला अपराधों के विरूद्ध विशेष अन्वेषण इकाई के गठन से दुष्कर्म के मामलों की तफ्तीश में लगने वाला औसत समय 267 दिनों से घटकर 118 दिन रह गया है। साथ ही राज्य में महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों की लम्बित जांचों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 34 प्रतिशत के मुकाबले नौ प्रतिशत ही है।
गहलोत ने कहा कि नवाचारों के कारण महिलाएं अपने साथ हुए अपराधों की शिकायत दर्ज करने के लिए बिना किसी डर के थाने पहुंच रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवाचारों से महिला अपराध के पंजीकरण में बढ़ोतरी हुई है व मुकदमों के त्वरित निस्तारण में गति आई है। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि बलात्कार के प्रकरणों में जहां पहले 30 प्रतिशत से भी ज्यादा मामले सीधे पुलिस के पास आने की बजाए अदालत के माध्यम से आते थे वे अब घटकर लगभग 13 प्रतिशत तक आ गए हैं।
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उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया तथा साइबर तकनीक का दुरूपयोग कर इनके माध्यम से होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान पुलिस को खुद को तैयार करना चाहिए। गहलोत ने कहा कि हमारा प्रयास है कि राजस्थान अपराधों की रोकथाम और त्वरित न्याय की दिशा में देश का आदर्श राज्य बने। इसके लिए पुलिस को संसाधन उपलब्ध करवाने में किसी तरह की कमी नहीं रखी जाएगी।
महिला अपराधों के विरूद्ध विशेष अन्वेषण इकाई के गठन से दुष्कर्म के मामलों की तफ्तीश में लगने वाला औसत समय 267 दिनों से घटकर 118 दिन हो गया है। साथ ही राज्य में महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों की लम्बित जांचों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 34 प्रतिशत के मुकाबले 9 प्रतिशत ही है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 28, 2020
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