सत्ता और अमित शाह के साथ जाने के बजाय पिता के साथ संघर्ष का रास्ता चुना: Supriya Sule

Supriya Sule
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सुले ने इंदापुर में एक सार्वजनिक बैठक में कहा, ‘‘मेरे पास दो विकल्प थे- सत्ता और संघर्ष। संघर्ष के पक्ष में मेरे पिता थे और सत्ता के पक्ष में (केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता) अमित शाह थे।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की कार्यकारी अध्यक्ष एवं बारामती से लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनके सामने सत्ता और संघर्ष के दो विकल्प थे और उन्होंने संघर्ष का चयन किया।

सुले ने इंदापुर में एक सार्वजनिक बैठक में कहा, ‘‘मेरे पास दो विकल्प थे- सत्ता और संघर्ष। संघर्ष के पक्ष में मेरे पिता थे और सत्ता के पक्ष में (केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता) अमित शाह थे। मुझे सत्ता और संघर्ष के बीच चयन करना था। मैंने संघर्ष का चयन किया।’’

उन्होंने इस साल दो जुलाई को राकांपा में विभाजन का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा, ‘‘उस व्यक्ति को मत भूलिए जिसने आपको जन्म दिया है। किसी न किसी को तो सच कहना ही होगा। अगर हम सब डर गए तो देश में कोई लोकतंत्र नहीं रहेगा। आज हमारे साथ तोड़फोड़ की गई। कल आपका भी यही हश्र होगा।’’

अजित पवार और आठ विधायक एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए, जबकि सुले और कई अन्य ने पार्टी संस्थापक शरद पवार के साथ रहना स्वीकार किया। सुले ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार को सूचित कर दिया है कि वह अगले 10 महीने तक बारामती में रहेंगी और मुंबई नहीं आएंगी।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने पति और बच्चों से कहा कि मैं अक्टूबर तक बारामती में रहूंगी। मैंने उनसे कहा कि मैं मुंबई नहीं आऊंगी और उनसे अपना ध्यान रखने के लिए कहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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