SC का आदेश, महाराष्ट्र में पीजी मेडीकल में दाखिले के लिए दोबारा कराए काउंसलिंग

instructions-for-final-counseling-for-pg-medical-and-dental-courses-in-court-of-maharashtra
[email protected] । Jun 4 2019 6:12PM

न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाश पीठ ने राज्य सरकार को वर्तमान शैक्षणिक सत्र में प्रवेश के लिये काउंसलिंग के बारे में स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर व्यापक प्रचार करने का निर्देश दिया।

नयी दिल्ली। शैक्षणिक वर्ष 2019-20 में पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा के पाठ्यक्रमों के लिये प्रवेश में छात्रों को आ रही कठिनाइयों के लिये महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुये उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उसे 14 जून तक अंतिम दौर की काउंसलिंग पूरी करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा के पाठ्यक्रमों में 2019-20 शैक्षणिक सत्र में प्रवेश के लिये आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो को 10 फीसदी आरक्षण देने की अधिसूचना पर रोक लगाये जाने के बाद कोई काउंसलिंग नहीं करने के मामले में महाराष्ट्र सरकार से सवाल किये।

इसे भी पढ़ें: संजीव भट्ट की जमानत याचिका से जुड़े HC के आदेश में हस्तक्षेप नहीं: SC

न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाश पीठ ने राज्य सरकार को वर्तमान शैक्षणिक सत्र में प्रवेश के लिये काउंसलिंग के बारे में स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर व्यापक प्रचार करने का निर्देश दिया। न्यायालय कहा कि इन विज्ञापन में यह भी स्पष्ट किया जाये कि यह काउंसलिंग का अंतिम दौर होगा। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि काउंसलिंग की सारी प्रक्रिया 14 जून से पहले पूरी हो जानी चाहिए और मेरिट के आधार पर प्रवेश दिये जाने चाहिए।

इसे भी पढ़ें: त्रिपुरा में भाजपा के लिये मतदान नहीं करने वालों पर हुए हिंसक हमले: कांग्रेस

पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि चालू शैक्षणिक सत्र के दौरान राज्य के पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के संबंध में कोई भी अदालत अब किसी याचिका या आवेदन पर विचार नहीं करेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी छात्र को प्रवेश फार्म में पहले दी गयी वरीयता में बदलाव की अनुमति नहीं दी जायेगी। न्यायालय ने मेरिट लिस्ट फिर से तैयार करने के बाद काउंसलिंग के नये दौर के लिये कुछ छात्रों के आवेदन पर यह आदेश दिया। वर्तमान शैक्षणिकि सत्र के दौरान पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिये दस फीसदी आरक्षण की सरकार की अधिसूचना पर शीर्ष अदालत द्वारा रोक लगाये जाने के बाद इन छात्रों ने यह आवेदन दायर किया था। 

इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने महाराष्ट्र और राज्य कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सेट) प्रकोष्ठ से जानना चाहा कि नये सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करने के बाद काउंसलिंग क्यों नहीं की गयी। पीठ ने कहा कि हम ऐसा कोई आदेश नहीं देना चाहते जिससे दूसरे छात्र प्रभावित होंगे। सारी समस्याओं के जनक आप ही हैं। यह ठीक नहीं हैं। सेट प्रकोष्ठ के वकील ने कहा कि न्यायालय के आदेश के अनुसार मेरिट सूची फिर से तैयार की गयी है शीर्ष अदालत ने इससे पहले वर्तमान शैक्षणिक सत्र में पीजी मेडिकल और दंत चिकत्सा के पाठ्यक्रमों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के छात्रों के लिये 10 फीसदी आरक्षण पर रोक लगाने के आदेश को ‘‘लगभग दरकिनार करने’’ के लिये महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की धमकी दी थी। न्यायलाय ने प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा चार जून तक बढ़ाते हुये महाराष्ट्र सरकार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो की श्रेणी के छात्रों केा अलग करके नये सिरे से मेरिट लिस्ट बनाने का भी निर्देश दिया था।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़