क्या नाराज हैं स्वामी प्रसाद मौर्य? आखिर केंद्र की इस नीति पर क्यों खड़े किए सवाल?

Swami Prasad Maurya
अंकित सिंह । Dec 3 2021 1:19PM

स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान ऐसे समय में आया है जब उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता अखिलेश यादव लगातार भाजपा सरकार पर सरकारी चीजों को बेचने का आरोप लगा रहे हैं। हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट का शिलान्यास किया था।

उत्तर प्रदेश में सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। चुनावों के मद्देनजर बयानबाजी भी बढ़ रही है। इन सबके बीच योगी सरकार में श्रम, सेवायोजन समन्वय विभाग के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बड़ा बयान दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने देश में निजीकरण को लेकर चल रहे विवाद पर बोल रहे थे। मौर्य ने कहा कि सरकारी उपक्रम को जनहित में बेचा नहीं जाना चाहिए बल्कि इसमें सुधार लाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि सरकारी उपक्रमों को प्राइवेट हाथों में नहीं सौंपा जाना चाहिए। माना जा रहा है स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस बयान के जरिए केंद्र के मोदी सरकार को उसकी बेचो नीति पर घेरा है। हालांकि उन्होंने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार तथा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियां भी गिनाई। 

आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान ऐसे समय में आया है जब उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता अखिलेश यादव लगातार भाजपा सरकार पर सरकारी चीजों को बेचने का आरोप लगा रहे हैं। हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट का शिलान्यास किया था। इसी शिलान्यास को लेकर अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा था सरकारी पैसे का इस्तेमाल बीजेपी एयरपोर्ट में कर रही है। उसके बाद इस एयरपोर्ट को बेच देगी। 

वरुण गांधी पर पलटवार

केशव प्रसाद मौर्य ने वरुण गांधी पर भी पलटवार किया है। दरअसल, वरुण गांधी ने एक ट्वीट के जरिए योगी सरकार पर सवाल उठाए। इसी के पलटवार में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हमारी सरकार निष्पक्षता से लोगों को नौकरी देने का काम कर रही है। इससे पहले भी पर्चे लीक हुए हैं। लेकिन कभी इतनी बड़ी कार्रवाई नहीं होती। आपको बता दें कि वरुण गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं है, फिर भी कुछ मौका आए तो पेपर लीक हो, परीक्षा दे दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, फिर किसी घोटाले में रद्द हो। रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड़ नौजवान दो साल से परिणामों के इंतज़ार में हैं। सेना में भर्ती का भी वही हाल है। आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान?

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