भारत के खिलाफ किसी भी तरह की प्रतिकूल टिप्पणी से दुख होता है: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

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उपराष्ट्रपति ने कहा, कई बार मेरे दिल को तब दुख होता है जब दुनिया के किसी भी कोने से इस देश की जमीनी हकीकत से पूरी तरह से अलग एक आवाज आती है जिसमें कुछ प्रतिकूल कहा जाता है और जिसे मीडिया जोर-शोर से उठाने लगता है।

नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि उन्हें भारत के खिलाफ ऐसी किसी भी तरह की प्रतिकूल टिप्पणी से दुख होता है जो जमीनी हकीकत से पूरी तरह से अलग हो और जिसे मीडिया जोर-शोर से उठाने लग जाए। अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के 49वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कोविड-19 महामारी से निपटने, कारोबार में आसानी, आर्थिक सुधारों और जी-20 की भारत की आगामी अध्यक्षता जैसी सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने कहा, नेतृत्व ने जमीन पर वह हासिल किया है जिसकी हमने पहले कभी कल्पना भी नहीं की थी। धनखड़ ने कहा कि महामारी ने सभी को देश की ताकत से अवगत कराया और यह जीवन के हर पहलू में परिलक्षित हुआ जब लोग जरूरतमंद लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए आगे आए। उपराष्ट्रपति ने कहा, कई बार मेरे दिल को तब दुख होता है जब दुनिया के किसी भी कोने से इस देश की जमीनी हकीकत से पूरी तरह से अलग एक आवाज आती है जिसमें कुछ प्रतिकूल कहा जाता है और जिसे मीडिया जोर-शोर से उठाने लगता है।

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धनखड़ ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी सम्मेलन में शामिल होने वाले उद्योग जगत के नेताओं का अपमान है, जिनके पास कहीं से भी बोलने वाले सज्जन की तुलना में बहुत अधिक परिपक्वता है। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इस तरह की राजनीति को रोकना होगा और यह नियंत्रण केवल उस समूह में हो सकता है जो मेरे सामने है। मैं इस पर अधिक विचार नहीं करूंगा।’’ धनखड़ ने बिना किसी तर्क या आधार के उत्पन्न बड़ी बाधाओं के बावजूद कोविड के खिलाफ टीकाकरण में सरकार के प्रयासों की भी सराहना की। उपराष्ट्रपति ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा, जिन लोगों ने यह चुनौती दी, वे इस बात से अनजान थे कि वे भारतीय मेधा से खुद को दूर कर रहे हैं और भारत के विकास की कहानी साझा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार ने शासन में आसानी के लिए बहुत प्रयास किए हैं, जो एक ऐसा क्षेत्र है जो उद्योग जगत के नेताओं की रातों की नींद उड़ाकर रखता था।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, यह समय की बात है कि जो अनुकूलन हो रहा है वह अधिक सुखदायक पारिस्थितिकी तंत्र में फलीभूत होगा। प्रतिक्रिया अद्भुत है।’’ उन्होंने कहा कि भारत को विश्व स्तर पर कभी भी उतनी तवज्जो नहीं मिली जितनी अब मिलती है। 

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धनखड़ ने कहा, ‘‘यह गर्व की बात है कि भारतीय प्रधानमंत्री की छवि, भारतीय विदेश मंत्री की छवि, विदेश में हर भारतीय की छवि बहुत अलग है। हम एक ऐसे राष्ट्र हैं जो आगे बढ़ रहे हैं। सदियों पहले हम मानव गतिविधि के हर क्षेत्र में अग्रणी थे और हमें इस पर गर्व करने की जरूरत है।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत इस साल के अंत में जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा जिससे देश को वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक एजेंडे को आकार देने का अवसर मिलेगा। धनखड़ ने कारोबार और उद्योग जगत के नेताओं से भारत के आत्मनिर्भर बनने के अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, भारत नए उद्यम, नयी नौकरियां, नए निर्यात और विकास संबंधी समस्याओं के नए समाधान उत्पन्न कर आर्थिक विकास को गति देने के लिए अपनी उद्यमी पीढ़ी पर भरोसा कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष विजय केलकर, रमन के. गर्ग-आईआरएस और एआईएमए के पूर्व अध्यक्ष हर्ष पति सिंघानिया को एआईएमए की फैलोशिप भी प्रदान की।

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