इटली से आयातित सौदागरों के माध्यम से धर्मांतरण को बढ़ावा मिला: आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को एक नए विवाद को हवा देते हुए आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के शासन काल में इटली से आयातित सौदागरों के माध्यम से धर्मांतरण की राष्ट्र विरोधी गतिविधियां चरम पर थीं।
रायपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को एक नए विवाद को हवा देते हुए आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के शासन काल में इटली से आयातित सौदागरों के माध्यम से धर्मांतरण की राष्ट्र विरोधी गतिविधियां चरम पर थीं। योगी ने सरगुजा क्षेत्र के जशपुर जिले में एक चुनावी रैली में कहा कि वर्ष 2003 तक प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। वह परोक्ष रूप से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साध रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ 2000 में बना लेकिन प्रारंभिक तीन वर्षों तक कांग्रेस का ‘‘कुशासन’’ था। इस कुशासन में सड़कें नहीं थी। बिजली नहीं थी। शिक्षा और स्वास्थ्य की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यहां इटली से आयातित सौदागरों के माध्यम से धर्मांतरण की राष्ट्र विरोधी गतिविधियां भी चरम पर चल रही थीं। जशपुर के कुमार दिलीप सिंह जूदेव ने इन गतिविधियों पर अपने बल पर अंकुश लगाने का कार्य किया था।’’ योगी ने कहा कि अगर जशपुर राजघराना नहीं होता तो यह क्षेत्र दंडकारण्य बन गया होता। यहां चल रही अराजक गतिविधियों के कारण यहां भी नक्सलवाद बस्तर की तरह ही चुनौती दे रहा होता।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने इसी दंडकारण्य में अपना सबसे अधिक समय व्यतीत किया था। उन्होंने इस दौरान यहां के लोगों में निडरता पैदा की जिससे यहां कोई अराजकता ना हो। उन्होंने कहा कि उन्हें मुझे लगता है इस कार्य में उनके सहयोगी अयोध्या और जनकपुर की सेना नहीं थी, बल्कि यहीं के आदिवासी और वनवासी थे। इन्हीं लोगों ने मिलकर भगवान राम की यात्रा को जीवंत बना दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में शुरू के तीन वर्षों में कांग्रेस की सत्ता थी। तब यहां ना तो सड़कें थी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव था। कहीं खनन माफिया हावी थे तो कहीं कोयला माफिया तो कहीं वन माफिया। उन्होंने कहा, ‘‘इन माफियाओं को देखकर मुझे इटली की याद आती है। माफिया शब्द इटली से आया है।’’ छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण में नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के सात जिलों और राजनांदगांव जिले के 18 विधानसभा सीटों के लिए 12 नवंबर को मतदान हुआ। शेष 72 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा।
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