जगन सरकार ने 3 राजधानियां बनाने की योजना को आकार देने संबंधी विधेयक विस में किया पेश

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[email protected] । Jan 20 2020 5:05PM

आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण एवं सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक, 2020’ में राज्यों को विभिन्न क्षेत्रों में बांटना और क्षेत्रीय नियोजन तथा विकास बोर्डों की स्थापना करना भी शामिल है। इससे पहले मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक ने विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी।

अमरावती। वाई एस जगनमोहन रेड्डी सरकार ने राज्य की तीन राजधानियां बनाने की योजना को आकार देने संबंधी विधेयक सोमवार को आंध्र प्रदेश विधानसभा में पेश किया। इसमें विशाखापत्तनम को कार्यकारी राजधानी, अमरावती को विधायी राजधानी और कुर्नूल को न्यायिक राजधानी बनाए जाने का प्रस्ताव है। ‘आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण एवं सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक, 2020’ में राज्यों को विभिन्न क्षेत्रों में बांटना और क्षेत्रीय नियोजन तथा विकास बोर्डों की स्थापना करना भी शामिल है। इससे पहले मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक ने विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी। राजधानियों के मुद्दे पर मंत्रियों और नौकरशाहों की अधिकार प्राप्त समिति के सुझावों को भी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी।

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विस्तारित शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधेयक को पेश करते हुए, वित्त एवं विधायी मामलों के मंत्री बुगना राजेंद्रनाथ ने कहा कि सरकार ने विकेंद्रीकरण एवं सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास के लिए नया कानून बनाने का फैसला लिया है, ताकि राज्य में ‘‘संतुलित एवं समावेशी विकास’’ सुनिश्चित किया जा सके। ग्रामीण एवं (निकाय)वार्ड सचिवालय प्रणाली जिसे सरकार बीते अक्टूबर में लाई थी उसे अब वैधानिक दर्जा मिल गया है क्योंकि इसे इस नए विधेयक का हिस्सा बनाया गया है।

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अधिकार प्राप्त समिति के सुझावों के हवाले से मंत्री ने कहा, ‘‘क्षेत्रीय असंतुलन और समान विकास के अभाव से राज्य की आबादी के कुछ तबकों में वंचित रहने की भावना पैदा हो रही है। इसका तार्किक समाधन होगा वितरित विकास और विकेंद्रीकृत प्रशासन जिससे विभिन्न क्षेत्रों के लोग सामाजिक-आर्थिक प्रगति का समान रूप से लाभ उठा सकें।’’ तेदेपा सदस्यों ने इस विधेयक पर आपत्ति जताई और विधानसभा अध्यक्ष के आसन के समक्ष पहुंच गए। हंगामे के बीच सरकार आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2014 को रद्द करने के लिए एक अन्य विधेयक लायी। हालांकि, सरकार को विधेयकों को मंजूरी दिलवाने में मुश्किलें आ सकती हैं क्योंकि कल से शुरू हो रहे विधान परिषद् के सत्र में सत्तारूढ़ दल को बहुमत प्राप्त नहीं है।

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