Jammu and Kashmir Profile: जम्मू-कश्मीर का इस तरह से हुआ था भारत में विलय, जानिए कैसे रखी गई लोकतंत्र की नींव
आपको बता दें कि भारत में जम्मू-कश्मीर का विलय होने के साथ ही साल 1948 में नेहरु सरकार ने शेख अब्दुल्ला को वहां का तत्कालीन प्रधानमंत्री बनाया गया था। उस दौरान कश्मीर में मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री शब्द का इस्तेमाल किया जाता था।
भारत में जम्मू-कश्मीर एक नव निर्मित केंद्र शासित प्रदेश हैं। जिसमें दो डिवीजन, जम्मू डिवीजन और कश्मीर डिवीजन हैं। इन दोनों का प्रशासन भारत की केंद्र सरकार की तरफ से किया जाता है। जहां जम्मू को मंदिरों के प्रमुख शहर और किलों, महलों, बगीचों और धार्मिक आकर्षणों के तौर पर जाना जाता है, तो वहीं कश्मीर घाटी को झीलों, मैदानों, हिल स्टेशनों, ऊंचाई वाले दर्रों, मुगल गार्डन और प्राचीन धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है।
इतिहास
साल 1846 से लेकर 1947 तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश राज के शासन के दौरान यह एक रियासत थी। प्रथम एंग्लो सिख युद्ध के बाद रियासत का गठन हुआ था। फिर भारत के विभाजन और राजनीतिक एकीकरण के दौरान जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ एकीकरण के निर्णय में देरी की। लेकिन 26 अक्तूबर 1947 को महाराजा हरिसिंह ने 1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सैन्य सहायता के बदले में भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय दस्तावेज पर साइन कर दिया और इस तरह से जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बन गया।
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फर्स्ट पीएम
आपको बता दें कि भारत में जम्मू-कश्मीर का विलय होने के साथ ही साल 1948 में नेहरु सरकार ने शेख अब्दुल्ला को वहां का तत्कालीन प्रधानमंत्री बनाया गया था। उस दौरान कश्मीर में मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री शब्द का इस्तेमाल किया जाता था।
फिर अनुच्छेद 370 के जरिए जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा, अलग संविधान, अलग राज्य ध्वज और आंतरिक प्रशासन पर स्वायत्तता को संविधान में शामिल किया गया। हालांकि 06 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के इतिहास में नया अध्याय जुड़ा। भारत सरकार ने आर्टिकल 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत 2 केंद्र शासित प्रदेश बनें। जिसमें पश्चिम में जम्मू-कश्मीर और पूर्व में लद्दाख।
राजनीति
विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक बदलाव की बड़ी परीक्षा होगी। बता दें कि यहां पर पिछला चुनाव साल 2014 में हुआ था। उस दौरान 87 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हुए थे। वहीं परिसीमन के बाद अब 90 सीटें हैं। साल 2014 के चुनाव में यहां पर पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इसके अलावा यहां पर भाजपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस भी सक्रिय राजनीतिक दल में शामिल हैं।
जनसंख्या
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक जम्मू की अनुमानित जनसंख्या 05.04 लाख और कश्मीर घाटी की जनसंख्या 69.1 लाख है। जम्मू-कश्मीर का साक्षरता दर 67.16% है। जिसमें पुरुष साक्षरता दर 76.75% और महिला साक्षरता दर 56.43% है।
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