सिधिंया की मीडिया को नसीहत, राहुल के आंख मारने से न हो चिंतित

jyotiraditya scindia attacks on indian media
[email protected] । Jul 28 2018 3:58PM

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया को नसीहत देते हुए कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के संसद में आंख मारने के वाकये पर चिंतित होने के बजाय किसानों की आत्महत्या और महिलाओं से बलात्कार जैसे बुनियादी मसलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

इंदौर। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया को नसीहत देते हुए कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के संसद में आंख मारने के वाकये पर चिंतित होने के बजाय किसानों की आत्महत्या और महिलाओं से बलात्कार जैसे बुनियादी मसलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। राहुल के आंख मारने के वाकये के बारे में पूछे जाने पर सिंधिया ने यहां संवाददाता सम्मेलन में तल्ख लहजे में कहा कि देश में किसान आत्महत्या कर रहे हैं, महिलाओं से बलात्कार हो रहे हैं, दलितों पर अत्याचार हो रहा है, आदिवासियों से उनकी जमीनों के पट्टे छीने जा रहे हैं और नौजवानों में बेरोजगारी बढ़ रही है। इसके बावजूद प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ को किसी के आंख मारने पर इतनी चिंता हो रही है।

उन्होंने सवाल किया कि मीडिया को राहुल द्वारा संसद में उठाये गये मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिये या उनके द्वारा किसी विषय पर आंख मारने को तवज्जो देनी चाहिये। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मीडिया कर्मियों से चुहल भरे अंदाज में कहा कि क्या किसी को आंख मारना इतनी बड़ी बात हो गयी। क्या आपने अपनी जिंदगी में किसी को आंख नहीं मारी है।

उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि देश में पेट्रोलियम पदार्थों पर अनाप-शनाप कर वसूली से पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। सिंधिया ने कटाक्ष किया कि पिछले आम चुनावों से पहले मोदी कहते थे कि विदेशों से काला धन वापस लाकर हर देशवासी के खाते में 15-15 लाख रुपये जमा किये जायेंगे। लेकिन उनकी सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर ऊंची दरों वाली कर वसूली से पिछले चार साल में जनता की जेब से करीब 15 लाख करोड़ रुपये निकाल लिये हैं।

उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में इजाफे को "चुनावी छलावा" करार दिया। इसके साथ ही, आरोप लगाया कि ये दाम उचित फॉर्मूले के आधार पर तय नहीं किये गये हैं और इनसे धान व अन्य फसलें उगाने वाले किसानों को उनके पसीने का सही मोल नहीं मिल सकेगा।

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